कमल के नाम पर बिके कोइया के फूल
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दीपावली के दिन फूल व्यवसायियों ने श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दीपावली के दिन फूल व्यवसायियों ने श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया। उन्हें झांसे में रखकर कमल के नाम पर कोइया का फूल बेच दिया।
दीपावली पर्व पर लक्ष्मी को सर्वाधिक प्रिय कमल के फूल दोपहर होते-होते गायब हो गए थे। कमल के फूल बहुत कम मंगाए भी गए थे। ज्यादातर व्यवसायियों को ये फूल मिल भी नहीं पाए। उनकी जगह पर कोइया का फूल जो कमल के आकार का ही होता है, जमकर बेचा गया। कोइया का फूल लम्बा होता है और कमल का फूल नाटा व तोंदू होता है। कमल के एक फूल की कीमत सौ से सवा सौ रुपए थी जबकि कोइया का एक फूल मात्र पंद्रह से बीस रुपए में बिका।
महंगाई की मार फूल मालाओं पर भी थी। पिछले साल 50 रुपए में मिलने वाली गेंदा की माला इस वर्ष 70-80 रुपए में बिकी। बैजयंती माला 40 रुपए जोड़ा तो हल्की पीली माला 50 रुपए की थी। छोटी माला 25 रुपए से लेकर 40 रुपए तक थी, पिछले वर्ष की भी इसकी कीमत यही थी। बावजूद इसके फूलों की जमकर खरीदारी हुई। फूलों की दुकानों में भी इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा बेतहाशा वृद्धि थी। पूरे महानगर में हर चौराहे पर भारी संख्या में फूलों की दुकानें सजाई गई थीं। कुल मिलाकर इस वर्ष लगभग एक हजार फूलों की दुकानें लगी थीं। फूल भी इस बार बनारस से बहुत ज्यादा मंगाए गए थे। बावजूद इसके इनके दामों दोगुने से अधिक की वृद्धि थी।
फूल व्यवसायी जितेंद्र सैनी ने कहा कि बहुत प्रयास किया गया लेकिन पर्याप्त मात्रा में कमल का फूल उपलब्ध नहीं हो पाया। बनारस में कमल के फूल खत्म हो गए थे, इन्हें कोलकाता से मंगाया गया। फूलों की खरीदारी इतनी तेज थी कि अपराह्न डेढ़ बजे तक बाजार से आधा फूल बिक चुके थे। अपराह्न 4 बजते-बजते बहुत कम दुकानों पर फूल बचे थे।