बिजनेस प्लान के करोड़ों रुपये का कार्य अधूरा
गोरखपुर : संसाधनों का टोटा होने की बात करने वाले बिजली विभाग का हाल भी अजीब है। यहां धन रहते हुए भी
गोरखपुर : संसाधनों का टोटा होने की बात करने वाले बिजली विभाग का हाल भी अजीब है। यहां धन रहते हुए भी कार्य नहीं कराया जाना आम बात है। आम आदमी जर्जर पोल व तार बदलने को लेकर विभाग का चक्कर लगाकर परेशान है और विभाग में करोड़ों रुपये की योजना धूल फांक रही है। बिजनेस प्लान के तहत गोरखपुर व बस्ती जोन के विभिन्न मंडलों में वर्ष 2011-12 में 1.133 अरब रुपये से विभाग के कार्य कराए जाने थे लेकिन इसमें मात्र 15 करोड़ के कार्य ही विभाग में कराए गए, शेष बचे 95.75 करोड़ के कार्य या तो अवशेष हैं या फिर उन्हें आगे की योजना में शामिल कर लिया गया। बहरहाल यह स्थिति विभाग के लिए शर्मसार करने वाली है कि शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक में जहां ट्रांसफार्मर पोल व तार की किल्लत है वहां करोड़ों रुपये रहते हुए भी कार्य नहीं कराया जाना घोर लापरवाही है। विभाग के पास सामान का टोटा है।
बिजनेस प्लान वर्ष 2011-12 के तहत विद्युत वितरण मंडल गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, में 11.61 करोड़ की लाग से 185 एरियर बंच कंडक्टर की खरीद की जानी थी लेकिन इसमें 1.07 करोड़ रुपये के कार्य अवशेष हैं। 25 करोड़ की लागत से दस 33/11 केवी नए उपकेंद्र के निर्माण में 24.92 करोड़ की लागत के नौ निर्माण अधूरे हैं, 6.50 करोड़ की लागत से 13 उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि में मात्र पांच कार्य पूरे किए गए और अभी भी 3.57 करोड़ के आठ कार्य अधूरे हैं। 6.34 करोड़ की लागत से 4 जगह 220/132 केवी विद्युत उपकेंद्रों से 11 केवी सिस्टम हटाने के कार्य, 36 स्थानों पर 3.58 करोड़ की लागत से 33 केवी लिंक लाइन का निर्माण कार्य, 1.88 करोड़ की लागत के दस स्थानों पर 33केवी के पुराने पिल्का केबिल के स्थान पर एक्स एलपी केबिल स्थापना के कार्य, 135 करोड़ की लागत के 15 स्थानों पर 33/11 केवी उपकेंद्रों पर कंट्रोल पैनल ब्रेकर व सीटी लगाने के कार्य, .65 करोड़ की लागत से 60 स्थानों पर 11 केवी पुराने व जर्जर पिल्का केबिल के स्थान पर 11 केवी एक्सएलपी केबिल की स्थापना के कार्य में सभी के सभी अधूरे हैं इसमें कोई कार्य शुरू ही नहीं कराया जा सका। इसके साथ ही 2.52 करोड़ की लागत के 71 स्थानों पर 11केवी लिंक लाइन निर्माण कार्य, .81 करोड़ की लागत से 100 जगह 33/11 केवी गार्डिग निर्माण कार्य, 4.94 करोड़ की लागत के 406 वितरक परिवर्तकों की क्षमता वृद्धि, 12.41 करोड़ की लाग से जर्जर तार बदलने, 5.30 करोड़ की लागत से जर्जर पोल बदलने, तथा लंबे स्पैन के मध्य नए पोल लगाने के कार्य और 11 केवी क्रास आर्म बदलने के कार्य आदि पचास फीसद से अधिक अधूरे हैं। बिजनेस प्लान 2011-12 में स्वीकृत और कार्य जो नहीं कराए गए उनकी लागत भी आज की तिथि में काफी बढ़ चुकी है। इसे अब पूरा कराया जाना संभव भी नहीं लगाता है।
पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय की लापरवाही और उदासीनता के चलते इसमें अधिकांश कार्य शुरू ही नहीं किए जा सके और जो शुरू किए गए उसमें आधे से अधिक अधूरे पड़े हैं।
मुख्य अभियंता डीके सिंह का कहना है कि सामान की अनुपलब्धता के चलते कार्य नहीं हो पाए होंगे। उन्होंने कहा कि मैं तो अभी कुछ दिन पूर्व ही यहां आया हूं, पूरा मामला देखूंगा तब इस पर कुछ कहा जा सकेगा। वैसे यह योजना के कुछ कार्य चल रहे हैं, प्रगति पर हैं और कुछ आगे की योजना में शामिल कर लिए गए होंगे। उन्होंने बताया कि वैसे तो यह कार्य निगम मुख्यालय वाराणसी से संचालित होते हैं और सभी सामान भी वहीं से मिलते हैं, इसके साथ ही कुछ कार्यदायी संस्थाओं की लापरवाही भी है। इसलिए यहां से इस पर बहुत सटीक कुछ कहा भी नहीं जा सकता है।