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चार बत्तियों वाले दीप जलाकर की पाप से मुक्ति की कामना

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दीपोत्सव का पूर्व दिवस नरक चतुर्दशी परंपरागत आस्था व श्रद्धा के साथ बुधवा

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 01:29 AM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 01:29 AM (IST)
चार बत्तियों वाले दीप जलाकर की पाप से मुक्ति की कामना

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दीपोत्सव का पूर्व दिवस नरक चतुर्दशी परंपरागत आस्था व श्रद्धा के साथ बुधवार को मनाया गया। नरक प्राप्त न हो और पापों से मुक्ति मिले, इसके लिए चार बत्तियों वाले दीपक जलाए गए। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके कारागृह से 16 हजार कुमारियों का उद्धार किया था। इसी उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है।

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श्रद्धालुओं ने खासकर पुरोहित वर्ग ने हल में लगी मिट्टी, चिचिहड़ा, भटकोइया व लौकी को माथे से लगाकर स्नान करने की परंपरा का निर्वाह किया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने यमराज के निमित्त तर्पण व जलांजलि दी।

श्रद्धालुओं ने संधि वेला में देवी-देवताओं का पूजन-अर्चन कर दीपदान किया। मंदिरों, गुप्त गृहों, द्वार के दोनों तरफ, रसोईघर, स्नान घर, देव वृक्षों के नीचे, सभा भवन, नदियों के किनारे, चहारदीवारी पर, बगीचे में, कुओं व बावली के तट पर, डीह बाबा, सम्मय माई स्थान, गली-कूंचों में, घूरे पर व गोशालाओं में दीप जलाया। दीपदान के समय बच्चों ने पटाखे फोड़े व फुलड़ियां जलाई। पूरे दिन खरीदारी हुई और शाम को हर घर रोशनी से नहा उठा। मिट्टी को दीये जलाकर जहां लोगों ने परंपरा का निर्वाह किया, वहीं रंग-बिरंगी विद्युत झालरों से घर के सामने के हिस्से को सजाया गया था।


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