यहां नहीं है ऐसी सर्जरी की सुविधा
जागरण संवाददाता, गोरखपुर
महराजगंज निवासी सत्ताइस वर्षीय सरिता की रीढ़ की हड्डियां बचपन से ही टेढ़ी थीं, पर कोई खास परेशानी नहीं होने से किसी ने ध्यान नहीं दिया। उम्र बढ़ने के साथ दर्द की शुरुआत हो गई। स्थानीय चिकित्सकों को दिखाया तो उन्होंने कमर में बेल्ट बांधने व दर्द निवारक दवाएं खाने की सलाह दी। इससे काफी दिनों पर काम चलता रहा। लेकिन समय बीतने के साथ परेशानी बढ़ने लगी। मरीज का इलाज कर रहे आर्थोसर्जन डा. ऋतेश कुमार के मुताबिक दर्द नसों से पैरों में उतरने लगा। धीरे-धीरे पैरों में झनझनाहट व सुन्न होने की परेशानी शुरू होने लगी। एमआरआइ कराने पर पता चला कि कमर में 55 डिग्री तक टेढ़ापन आ चुका है। कई रीढ़ की हड्डियों के बीच की नसों पर दबाव भी था। ऐसे में जल्द से जल्द करेक्टिव सर्जरी की जरूरत थी। इसके लिए स्पाइन करेक्टिस सर्जरी की आवश्यकता होती है जो यहां नहीं है। मरीज को एम्स जाने की सलाह दी गई।
एम्स में जाने भी लोगों की भीड़ अधिक होने से मरीज को आपरेशन की तारीख नहीं मिल पा रही है। इधर मर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। डा. ऋतेश कुमार का कहना है कि यदि आपरेशन जल्द नहीं हुआ तो मरीज के पैरों में फालिज मार सकता है।
ऐसी मुसीबत झेलने वाली सरिता कोई अकेली मरीज नहीं है। पूर्वाचल में ऐसे लोगों की फेहरिश्त काफी लंबी है तो इस तरह की समस्या से पीड़ित है, पर सुविधा के अभाव में यहां इलाज नहीं हो पाता। कई तो ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बाहर के बड़े अस्पतालों में इलाज संभव नहीं है। यदि गोरखपुर में एम्स जैसा संस्थान खुल जाए तो ऐसे लोगों की मुश्किल काफी हद तक आसान हो जाएगी।