अब हवा से बिजली की तलाश
गोरखपुर: बिजली संकट से जूझ रहे जिले में सौर ऊर्जा के साथ पवन ऊर्जा की संभावनाओं की भी तलाश फिर शुरू हुई है। पूर्व में हुए सेटेलाइट सर्वे के आधार पर प्रशासन ने इसके लिए भारत सरकार के पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केंद्र चेन्नई से मदद मांगी है।
गोरखपुर में पवन ऊर्जा की संभावनाओं का सर्वेक्षण करने के लिए प्रौद्योगिकी केंद्र ने भटहट ब्लाक के रघुनाथपुर में लगभग दो साल तक उपकरण (विंड मानिटरिंग हाईमास्ट) लगाया था। जंगल के बीच बहने वाले नाले पर (निकट बांस स्थान मंदिर)इसे लगाया गया था। परीक्षण में वायु का वेग यहां सबसे अधिक पाया गया था। स्थान का चयन सेटेलाइट सर्वे के आधार पर हुआ था। इस उपकरण से वायु के वेग की नियमित रीडिंग ली जाती थी। दो साल के बाद ये उपकरण 11 नवंबर 2011 को यहां से हटा लिए गए। परीक्षण के बाद सर्वेक्षण टीम ने इस क्षेत्र को अधिकृत रूप से पवन ऊर्जा के लायक माना अथवा नहीं, प्रशासन को भी पता नहीं है। वजह यह है कि चेन्नई से इस संबंध में न तो कोई रिपोर्ट आई और न ही यहां से प्रशासन ने रिपोर्ट मंगाने में रुचि ही दिखाई। अब जबकि प्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा नीति-2013 के तहत जिलों में सौर ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता में रखकर कार्ययोजना तैयार की है, प्रशासन ने पवन ऊर्जा पर भी ध्यान केंद्रित किया है। उल्लेखनीय है कि सौर ऊर्जा के लिए गोरखपुर में 250 एकड़ जमीन पर सोलर पार्क भी स्थापित किया जाना है।
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क्या था यहां वायु का वेग
मानिटरिंग हाई मास्ट जहां लगाए गए थे वहां वायु का वेग 50 मीटर की दूरी पर 3.03 मीटर प्रति सेकंड था। 30 मीटर की दूरी पर यह वेग 2.26 मीटर प्रति सेकंड और 10 मीटर की दूरी पर 1.18 मीटर प्रति सेकंड मापा गया था। वेग मापने के लिए उसमें चिप्स लगाए गए थे जिसे समय-समय पर चेन्नई भेजा जाता था।
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बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए पवन ऊर्जा बेहतर विकल्प हो सकती है। रघुनाथपुर में इसे लगाने का जो परीक्षण हुआ था, उस पर कार्ययोजना तैयार करने के लिए पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केंद्र चेन्नई से संपर्क किया जा रहा है। इसके लगाने से आसपास के गांवों में बिजली की बेहतर आपूर्ति हो सकेगी।
-कुमार प्रशांत, सीडीओ