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फाइलों में सिमट गई फील्ड की हॉकी (खेल दिवस पर विशेष)

By Edited By: Published: Fri, 29 Aug 2014 02:14 AM (IST)Updated: Fri, 29 Aug 2014 02:14 AM (IST)
फाइलों में सिमट गई फील्ड की हॉकी (खेल दिवस पर विशेष)

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : एक दौर था गोरखपुर के हॉकी का, जब 1960 के दशक में हर स्कूलों में लगभग तीन-तीन टीमें हॉकी खेला करती थीं। 70-80 में भी हॉकी गोरखपुर में शवाब पर थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ गोरखपुर में हॉकी की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल गई। फील्ड में खेली जाने वाली हॉकी आज फाइलों में सिमट गई। हम भी गौरवशाली अतीत पर गुमान करते रह गए, लेकिन वर्तमान को संवारने की कोशिश तक नहीं की। सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि हॉकी को अनवार अहमद, अली सईद, प्रेम माया, रंजना गुप्ता, डा. आरपी सिंह, निधि खुल्लर, संजू शर्मा, रीता मिश्रा, दिवाकर राम सरीखे खिलाड़ी देने वाले गोरखपुर में आज तक एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं हो सका।

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फर्टिलाइजर मैदान, एमएसआइ, सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम को छोड़ दिया जाए तो हॉकी गोरखपुर से लगभग समाप्त सी ही हो गई है। कैंप के कारण रीजनल स्टेडियम में विवशता के कारण किसी तरह हॉकी खेली जा रही है।

इस खेल का सबसे बुरा हाल स्कूलों ने कर दिया। 1958-59 के दशक में लगभग हर स्कूलों की तीन-तीन टीमें हुआ करती थीं, लेकिन आज स्कूली प्रतिभाओं की धार कुंद हो गईं। वर्तमान में 300 से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में महज एक या दो टीमें ही स्कूली हॉकी में प्रतिभाग करती हैं। खेल दिवस की पूर्व संध्या पर गौर करें तो स्कूली हॉकी में किसी तरह एमएसआइ में गोरखपुर, देवरिया व कुशीनगर की टीमों ने हिस्सा लेकर दायित्वों की इतिश्री की। फ्लैशबैक में चलें तो 1958-59 में एमएसआइ की ओर से स्कूली हॉकी में खेलने वाले अली सईद साहब अपनी संजोयी स्मृतियों को ताजा करते हुए बताते हैं कि उस समय स्कूलों में एबीसी तीन-तीन टीमें हुआ करती थीं। पीटी की एक अलग कक्षा भी चलती थी, जिसमें हर विद्यार्थी का होना अनिवार्य होता था। तब अभिभावक भी बच्चों को स्टिक पकड़ाकर मैदान पर लाया करते थे।

उन दिनों वे भी गांधी टूरिस्ट क्लब की ओर से खेला करते थे। तब इंतजार हुसैन व साहब शरण श्रीवास्तव स्वयं बच्चों के आगे आकर उन्हें हॉकी खेलने की प्रेरणा देते थे। उन दिनों स्कूली हॉकी में हर विद्यार्थी का खेलना भी अनिवार्य होता था, लेकिन आज हॉकी फाइलों में होती है फील्ड में नहीं।

अपने समय की यादें ताजा करते हुए प्रेम माया बताती हैं कि 72-76 में आर्यकन्या, एडी, भगवती व इमामबाड़ा समेत प्रत्येक स्कूलों की खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाग करती थीं, लेकिन आज का युवा टीवी, इंटरनेट के मकड़जाल से निकलना ही नहीं चाहता। गोरखपुर के गौरव डा. आरपी सिंह भी अली सईद व प्रेम माया की बातों से सरोकार रखते हैं।

इन सभी का मानना है कि आज स्कूली स्तर से ही हॉकी को बढ़ावा देने की जरूरत है, लेकिन इस जरूरत की पूर्ति कोई करना ही नहीं चाहता।

27 वर्षो से भर रहे हॉकी में दम

हॉफ कालम फोटो गुरु इमरान

गोरखपुर : उक्त विसंगतियों के बावजूद अभी भी विगत 27 वर्षो से फर्टिलाइजर मैदान में गुरु इमरान बच्चों को हॉकी के गुर सीखा रहे हैं। न संसाधन, न सुविधा। बावजूद इसके 10 मई 1987 से अनवरत आज तक उदीयमान प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर यहां की परिपाटी को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं। 9 अंतरराष्ट्रीय व 76 से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले गुरु इमरान के शिष्य आर्मी, आइटीबीपी, एसएसबी, रेलवे, नेवी आदि स्थानों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

दिनोदिन पिछड़ रहे इस खेल में युवाओं को आगे लाने के लिए गुरु इमरान आसपास के बच्चों को लाकर उन्हें हॉकी सिखाते हैं।


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