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ठंड में भी पौने दो सौ को लील गई इंसेफेलाइटिस

By Edited By: Published: Wed, 12 Mar 2014 01:25 AM (IST)Updated: Wed, 12 Mar 2014 01:26 AM (IST)
ठंड में भी पौने दो सौ को लील गई इंसेफेलाइटिस

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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आमतौर पर बरसात की बीमारी माने जाने वाले इंसेफेलाइटिस ने अब मौसम की सीमाओं को तोड़ते हुए सर्दी में भी कहर ढाना शुरू कर दिया है। बीते साल नवंबर से लेकर अब तक गोरखपुर मेडिकल कालेज व पूर्वाचल के दूसरे सरकारी अस्पतालों में 671 मरीज भर्ती किए गए जिनमें से 173 की मौत हो गई। बीमारी के बदलते ट्रेंड से विशेषज्ञों के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं।

वैसे तो ठंड के दस्तक देते ही बीमारी का असर कम होने लगता है। मच्छरों की संख्या घटने से जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीज भी घटने लगते हैं, लेकिन जलजनित इंसेफेलाइटिस के चलते अब हालात बदलते जा रहे हैं। इस साल भी यह साफ दिखा। नवंबर महीने में तापमान में गिरावट के बावजूद बीआरडी मेडिकल कालेज व पूर्वाचल के दूसरे सरकारी अस्पतालों में 509 मरीज भर्ती किए गए जिनमे से 108 ने दम तोड़ दिया। दिसंबर में जब ठंड ने अपना शिकंजा और कसा तो मरीजों की तादाद में कमी जरूरी आई फिर भी इस दौरान 108 मरीज भर्ती हुए जिनमें से 47 को बचाया नहीं जा सका। यह सिलसिला इस साल भी जारी रहा और एक जनवरी से अबतक 58 मरीज भर्ती किए जा चुके हैं जिनमें से 18 की मौत हो चुकी है। नए साल में जनवरी महीने में भर्ती 19 मरीजों में से 7 की, फरवरी में भर्ती 31 मरीजों में से 9 की मौत हो चुकी है। मार्च महीने में भी अब तक छह नए मरीज भर्ती हो चुके हैं जिनमें से दो मौतें हो चुकी हैं। हालांकि इस दौरान बीआरडी मेडिकल कालेज में हड़ताल के चलते मरीजों की भर्ती बंद रही, नहीं तो यह संख्या और भी बढ़ सकती थी।

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बीते साल की तुलना में हालात भयावह

पिछले सीजन से तुलना करें तो इस सीजन में हालात अधिक भयावह हैं। पिछले सीजन में साल 2012 के नवंबर महीने से साल 2013 के फरवरी महीने में बीमारी ने 140 लोगों को मौत की नींद सुला दिया जबकि इस बार यह संख्या इन महीने में मौतों की संख्या 173 है। पिछले सीजन में सर्दी के इन चार महीनों में 455 मरीज भर्ती किए गए थे जबकि इस बार यह संख्या साढ़े छह सौ से अधिक है।

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इस बार इंसेफेलाइटिस मौसम की सीमाओं को पार कर गई जिससे इसका असर अधिक दिनों तक रहा जो चिंताजनक है। वैसे अक्टूबर महीने में बारिश व नवंबर में मौसम का उतार-चढ़ाव भी इसकी वजह हो सकता है। बहरहाल ठंड में बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरसों की तलाश के लिए शोध चल रहा है।

डा. मिलिंद गोरे, निदेशक

नेशलन इंस्टीच्यूट आफ वायरोलॉजी

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इस अक्टूबर महीने में अधिक बरसात हुई। इससे भूजल दूषित होने से जलजनित इंसेफेलाइटिस के मामले नवंबर व दिसंबर में बढ़े। जेई के मरीजों में कमी हुई है।

डा. केपी कुशवाहा, प्राचार्य

बीआरडी मेडिकल कालेज


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