छुट्टा मवेशियों से नहीं निजात
गोंडा। नगर व ग्रामीण क्षेत्र में छुट्टा पशुओं की बाढ़ सी आ गई है। इनमें सांड़, बछड़े व गाय आदि शामिल ह
गोंडा। नगर व ग्रामीण क्षेत्र में छुट्टा पशुओं की बाढ़ सी आ गई है। इनमें सांड़, बछड़े व गाय आदि शामिल हैं। यह आवारा पशु रात दिन इधर से उधर घूमते रहते हैं। ये पशु मार्ग पर झुंड बनाकर खड़े हो जाते हैं। जिससे रास्ता अवरुद्ध हो जाता है।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए यह किसी आफत से कम नहीं हैं। गांवों में बैल व बछड़ों से खेत जुताई का कार्य लगभग समाप्त हो चुका है। जिससे इनकी उपयोगिता खत्म हो चुकी है। यही हाल बांझ व वृद्ध गायों का है, इनका भी कोई उपयोग नहीं रहा। पहले लोग इनके गोबर का उपयोग करके इनके चारा भूसा का इंतजाम किया करते थे लेकिन अब उसका भी उपयोग नहीं रहा। जिससे अब लोग इन्हें अनुपयोगी समझ कर गांव से दूर छोड़कर चले आते हैं। कुछ लोग चारे के अभाव में अपनी अच्छी नस्ल की गाय भी छुट्टा छोड़ दिए हैं। जिससे क्षेत्र में अनगिनत झुंड के झुंड यह पशु खेतों में पहुंच जाते हैं। खेतों में लगी फसल को चरने के साथ ही नष्ट कर देते हैं। इनसे अब किसान परेशान हैं। इन छुट्टा पशुओं से निजात दिलाने में सभी फेल नजर आ रहे हैं। ठेले पर सब्जी, फल व अन्य खाद्य सामग्री की दुकान लगाने वाले भी परेशान हैं। ये मवेशी उनका भी नुकसान कर रहे हैं। कभी-कभी ये हादसे का भी सबब बन रहे हैं। जिससे लोग घायल हो जाते हैं। नगरवासियों व किसानों ने छुट्टा जानवरों से निजात दिलाने की मांग की है।