शहरी क्षेत्र में आशा चयन में पकड़ी गड़बड़ी, निरस्त
गोंडा: शहरी क्षेत्रों में आशा चयन में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी पकड़ी गयी है। नियमों को ताक
गोंडा: शहरी क्षेत्रों में आशा चयन में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी पकड़ी गयी है। नियमों को ताक पर रखकर डीएम से न तो कोई अनुमति ली गयी, न ही कमेटी का गठन किया गया। आशा चयन में नोडल अधिकारी से कोई भी सलाह नहीं ली गयी न ही प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका मिली। इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है। इसके लिए दोषियों की जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सीडीओ दिव्या मित्तल ने जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पड़ताल में कई मामले सामने आए। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सीएचसी पर आने वाली प्रसूताओं को दिए जाने वाले भोजन के लिए पिछले माह नियमों के विपरीत टेंडर कराने का मामला आया। नियमानुसार प्रतिदिन नाश्ता, दोपहर एवं शाम को भोजन के लिए न्यूनतम 90 रुपया व अधिकतम 100 रुपये में टेंडर कराया जाना था लेकिन नियमों के विपरीत 75 रुपये में ही टेंडर करा दिया गया। अब भोजन में गुणवत्ता की कमी व जीएसटी का बहाना बनाकर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया। इस पर उन्होंने जब टेंडर की फाइल मांग ली तो संबंधित अधिकारियों के होश उड़ गए। कोई फाइल ही नहीं दिखा सके। बैठक में सीएमओ डॉ. आभा आशुतोष, डॉ. राकेश अग्रवाल, डॉ. मुकेश, डॉ. गयासुल, अमरनाथ, डॉ. आरपी ¨सह, एपी ¨सह सहित अन्य मौजूद थे।
विभाग का पैसा डकारने का कौन है जिम्मेदार
- एमसीटीएस आपरेटर को मानदेय के भुगतान के लिए सेवा प्रदाता को दिए गए पैसे का कौन जिम्मेदार है, इस सवाल का जवाब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं दे सके। दरअसल, मानदेय भुगतान न होने पर आपरेटरों ने कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया है, जिस पर एजेंसी संचालक जेल में है। उसके स्थान पर दूसरी टेंडर प्रक्रिया कराकर सेवा प्रदाता का चयन कर लिया गया लेकिन पुराने आपरेटरों को वरीयता देने के प्रस्ताव को यहां पर खारिज कर दिया गया। 16 में से मात्र कुछ को ही काम पर रखा गया है। इस पर अधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट तलब की है।
स्वास्थ्य कार्यक्रमों की हुई पड़ताल
- जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सीडीओ ने नियमित टीकाकरण, प्रसव पूर्व देखभाल, जननी सुरक्षा योजना सहित अन्य ¨बदुओं पर समीक्षा की। इसमें कई स्तर पर कमियां सामने आयीं।, जिसे सुधारने का निर्देश दिया गया है।