मरम्मत में खेल, अफसर पास, जनता रही झेल
गोंडा: महज सड़कों पे गड्ढे हैं बिजली है न पानी है, हमारे शहर गोंडा की फिजां कितना सुहानी है। जनकवि र
गोंडा: महज सड़कों पे गड्ढे हैं बिजली है न पानी है, हमारे शहर गोंडा की फिजां कितना सुहानी है। जनकवि रामनाथ ¨सह अदम गोंडवी की उक्त रचना आज के दौर में भी क्षेत्र के लिए बिल्कुल सटीक बैठ रही है। यहां एक वर्ष पूर्व बनी सड़क ही गड्ढे में तब्दील नहीं हुई, बल्कि एक माह पूर्व जिन सड़कों को बना करके गड्ढामुक्त करने का दावा किया जा रहा है, उनमें भी बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। ये गड्ढे भ्रष्ट ठेकेदार व अफसरों के गठजोड़ की पोल खोल रहे हैं।
नरवा नाला के उस पार बसे हरदिहा सपौर ग्राम पंचायत के करीब तीन हजार आबादी को परसपुर मुख्यालय से जोड़ने के लिए वर्ष 2015 में तीन किलोमीटर लंबे चरौंहा -हरदिहा संपौर संपर्क मार्ग का निर्माण कराया गया था। ये सड़क परसपुर-बेलसर मार्ग से परसपुर-पसका मार्ग तक बनाई गई थी। सड़क निर्माण के दौरान मानक का ध्यान नहीं रखा गया। सड़क इतनी घटिया बनाई गई कि एक भी बरसात ठीक से नहीं झेल पाई। पूरी सड़क गड्ढे में तब्दील हो गई है। वहीं 12 किलोमीटर लंबा परसपुर-पसका मार्ग का बीते मई माह में मरम्मत कराकर गड्ढा मुक्त करने का दावा किया गया था लेकिन हकीकत इसके पूरी तरह से विपरीत है। पूरी सड़क में शायद ही कोई स्थान ऐसा हो जहां गड्ढे न हों। इन गड्ढों में गिरकर राहगीर आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
पब्लिक के बोल
-ग्राम सीर पुरवा के असगर अली ने कहा कि भ्रष्ट ठेकेदारों ने सड़क के निर्माण में ऐसा खेल खेला कि सड़क एक वर्ष भी नहीं चल सकी और पूरी तरह से गड्ढायुक्त हो गई। इसी गांव के राजू व फकरे आलम ने कहा कि इससे ठीक तो पहले की कच्ची सड़क ही थी। जिस पर चला तो जा सकता था। इस सड़क पर तो चलना दुश्वार
हो गया है। वहीं सीरपुरवा के विनोद ने कहा कि गड्ढायुक्त पसका व हरदिहा संपौर मार्ग की मरम्मत कराने की आवश्यकता है। ताकि लोगों को आवागमन सुलभ हो सके।
पुल का धंसा एप्रोच मार्ग
-अभी बरसात की ठीक से शुरुआत भी नहीं हो पाई है कि पसका के सरयू नदी त्रिमुहानी घाट पर बने पक्के पुल के एप्रोच मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। यह गड्ढे दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं। पसका पुल को बने दो वर्ष हो गया है लेकिन अभी तक एप्रोच मार्ग को मजबूती नहीं दी जा सकी है। नतीजा यह है कि हल्की सी बारिश में भी गड्ढे हो जाते हैं। इस पुल से गोंडा व बाराबंकी के दस हजार लोगों का प्रतिदिन आना-जाना रहता है।