तालाब ही नहीं चमदई नदी भी 'प्यासी'
गोंडा : क्षेत्र के तालाब और नदियां सूख गई हैं। इससे वन्य जीवों के सामने पेयजल का संकट पैदा हो गया
गोंडा : क्षेत्र के तालाब और नदियां सूख गई हैं। इससे वन्य जीवों के सामने पेयजल का संकट पैदा हो गया है।
नगर क्षेत्र के बगल बहने वाली पवित्र मनवर नदी व टिकरी रेंज के मध्य बहने वाली चमदई नदी सूख चुकी है। इसके साथ ही कौरहे, सरजू नहर खंड द्वितीय, सेहरिया तालाब, रेताशा तालाब, मिश्रौलिया तालाब व तामापार नहर सूख गई है। यहां पालतू पशुओं को ग्रामीण गर्मी के महीनो में पानी पिलाते व नहलाते थे लेकिन तालाब, और नहर सूखने से पालतू पशु हैडपंप के सहारे हो गए। जबकि अन्य पशु-पक्षियों का हाल बेहाल है। मनवर नदी का पानी सूख जाने से जीव-जंतु परेशान है। टिकरी जंगल के मध्य से होकर गुजरने वाली चमदई नदी भी सूख गई है। जिससे पानी को लेकर हाहाकार मच गया है। नदी का जलस्त्रोत सूख जाने से जंगल में रहने वाले नीलगाय, खरगोश, लोमड़ी, हिरन, सियार, सुअर व गाय अन्य जीव-जंतुओं के समक्ष पानी का संकट पैदा हो गया है। जंगल के मध्य करौदी गांव के पास अन्हुवा तालाब लगभग एक एकड़ में वन विभाग द्वारा बनवाया गया है। वर्तमान में वह पूरी तरह सूख चुका है। इससे जंगली जानवर पानी की खोज में अब बस्तियों की ओर रुख कर लिए हैं। महादेवा गांव को जाने वाली पगडंडी के किनारे जंगल के बीच जन सहयोग से लोगों ने एक नल लगाया है। उधर से गुजरने वाले राहगीर नल के पास बने गड्ढे में पानी भर देते हैं। जिसे जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाते हैं।
पब्लिक के बोल
-करौदी गांव निवासिनी सोना देवी का कहना है कि वन विभाग को अन्हुआ तालाब में पानी भरवाना चाहिए। रमेश कुमार शुक्ला कहते हैं कि पिछले कई सालों से अच्छी बरसात न होने से नदी, तालाब, पोखरे समय से पहले सूख जाते हैं। जिससे जंगली जानवरों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। शारदा देवी ने कहा कि अन्हवा तालाब में पानी भरवा दिया जाए तो जानवरों को राहत मिल सकती है। दिलीप ¨सह का कहना है कि प्रशासन को पानी भरवाने का इंतजाम करना चाहिए।
जिम्मेदार के बोल
-क्षेत्रीय वनाधिकारी पल्टूराम का कहना है कि जो गड्ढे खोदवाए गए हैं, उनमें टैंकर से पानी भरवाने की व्यवस्था की जा रही है।