..अब मैं क्या करूंगी, मुझे भी साथ ले चलो
गोंडा: बुधवार की सुबह छपिया थाना क्षेत्र के गुरुगांव में देवेंद्र प्रसाद तिवारी का शव एंबुलेंस से उत
गोंडा: बुधवार की सुबह छपिया थाना क्षेत्र के गुरुगांव में देवेंद्र प्रसाद तिवारी का शव एंबुलेंस से उतरते ही मातम छा गया। आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ जुट गई। किसी को क्या पता था कि तीर्थ यात्रा पर गए देवेंद्र तिवारी इस हालत में लौटेंगे। पत्नी प्रमिला का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कह रही थी कि अब मैं क्या करूंगी। मुझे भी साथ ले चलो। उसे घर की महिलाएं व बहुएं दिलासा दे रहीं थीं।
देवेंद्र तिवारी एक निजी स्कूल में छोटे बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे थे। इसके पहले वह कानपुर की एक कंपनी में मैनेजर थे। जहां से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव आ गए थे। उनके चार पुत्र हैं। एक बेटा आशुतोष प्राइवेट कंपनी में मैनेजर है। दुसरा पुत्र पारितोष बहराइच में सरकारी डॉक्टर है। तीसरे पुत्र रितेश बैंगलोर में इंजीनिय¨रग कॉलेज में प्रोफेसर तो चौथा पुत्र अंकित पटना स्थित एक कंपनी में कार्यरत है। पत्नी प्रमिला दहाड़े मारते हुए अपने बच्चों से लिपट गई। ये ²श्य को देख सबकी आंखें नम हो गईं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी प्रमिला रोते हुए कह रही थी कि मुझे क्यों छोड़ गए। मुझे भी साथ ले चलो। मैं यहां क्या करूंगी। मेरा तो सब कुछ उजड़ गया।
परिजनों के मुताबिक देवेंद्र व उनकी पत्नी प्रमिला 14 मई को चारधाम यात्रा के लिए बस से निकले थे। उनके साथ गांव के लोग भी थे। केदारनाथ दर्शन के बाद वह लोग सोनप्रयाग से दो किलोमीटर आगे सीतापुर स्थित एक निजी होटल में ठहरे। जहां देवेंद्र की तबियत खराब हो गई। पत्नी प्रमिला व सहयोगी देवेंद्र को अस्पताल लेकर गए। जहां चिकित्सक नहीं मिला। इसके बाद उनकी मौत हो गई।