प्रदूषण की मार, सांस रोगी अपार
गोंडा : प्रदूषण का दायरा बढ़ रहा है। इसके कारण सांस के रोगियों की तादाद दिनों दिन बढ़ती जा रही
गोंडा : प्रदूषण का दायरा बढ़ रहा है। इसके कारण सांस के रोगियों की तादाद दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
अस्थमा बड़ों के साथ बच्चों में भी तेजी से फैल रहा है। यही नहीं, जल के दूषित होने के कारण कोई टायफाइड व डायरिया की गिरफ्त में आ रहा है तो वायु प्रदूषण के कारण स्किन के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ध्वनि प्रदूषण भी आम लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। हालांकि डॉक्टरों की मानें तो लोगों को जागरूक करके इससे बचा जा सकता है।
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. घनश्याम गुप्ता का कहना है कि जब किसी व्यक्ति की सांस की नलियों में सूजन आ जाती है, ऐसे में उसे सांस लेने में भी परेशानी होती है। इसकी वजह से उसे खांसी भी आने लगती है। जिससे मरीज दमा की गिरफ्त में आ जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है। यह बीमारी अब बच्चों में तेजी के साथ बढ़ रही है। वैसे कई लोगों में यह मौसम, दवाइयों से भी हो सकती है। मानसिक तनाव, क्रोध के कारण भी दमा रोग हो सकता है। महिला चिकित्सक डॉ. अनीता मिश्रा का कहना है कि प्रदूषण की वजह से स्किन संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़े हैं। कोई धब्बे से परेशान है तो कोई अन्य कारण से।
इमरजेंसी मेडिकल आफीसर डॉ. टीपी जायसवाल की मानें तो जल प्रदूषण के कारण लोगों में पेट संबंधी बीमारियां बढ़ रही है। डायरिया व टायफाइड भी कहर बरपा रहा है। यह बीमारियां दूषित पेयजल से होती है। डिप्टी सीएमओ डॉ. गयासुल हसन का कहना है कि इधर गाड़यिों में प्रेशर हार्न लगाकर चलने का चलन बढ़ गया है। जिसके कारण कान के रोगी बढ़ रहे हैं। वैसे आंख पर भी प्रदूषण असर डाल रहा है। धूल के कण आंख में जाने के कारण आंख के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
इनसेट
प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी एक नजर में
- लिवर व पेट संबंधी बीमारियां
- सांस संबंधी बीमारियां
- त्वचा संबंधी बीमारियां
- आंख संबंधी बीमारियां
- खून संबंधी बीमारियां
- दांत व हड्डियों की दिक्कत
- फेफड़ों से संबंधी बीमारियां
जगा रहे अलख : पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पिछले 15 सालों से जिला विज्ञान क्लब अलख जगा रहा है। जिला समन्वयक डॉ. रेखा शर्मा के मुताबिक अब तक करीब एक लाख बच्चों को जागरूकता की मुहिम से जोड़ा जा चुका है। इनके माध्यम से गांव-गांव अभियान चलाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। नेचर क्लब भी लोगों को जागने के लिए रैलियां व अन्य आयोजन कर रहा है।