डेंगू के लिए 'डेंजर जोन' जिले के स्कूल
गोंडा: डेंगू के मच्छर का सबसे बड़ा डेंजर जोन तो जिले के स्कूल ही हैं। दरअसल, सुबह से दोपहर के जिस वक्
गोंडा: डेंगू के मच्छर का सबसे बड़ा डेंजर जोन तो जिले के स्कूल ही हैं। दरअसल, सुबह से दोपहर के जिस वक्त स्कूलों का संचालन होता, यही वह समय है, जिसमें मच्छर के काटने का सबसे अधिक खतरा रहता है। खास बात यह है कि अभी स्कूलों में समर (गर्मी) वाला ड्रेस कोड लागू है। यानी बच्चे हाफ पैंट, हाफ शर्ट और ऐसे कपड़ों में स्कूल जा रहे हैं, जिनमें मच्छर के काटने का खतरा सबसे अधिक रहता है। जागरूकता को लेकर प्रमुख सचिव ने फरमान तो जारी किया मगर वह अभी तक फाइलों में ही कैद है।
डेंगू के मरीजों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है। लोगों में इसको लेकर तरह-तरह का भ्रम है। इस सबके के बीच शिक्षा विभाग बेखौफ है। यहां परिषदीय स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक में डेंगू से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। जल निकासी का प्रबंधन न होने से डेंगू का खतरा मंडरा रहा है लेकिन अधिकारी अंजान बने हुए हैं। परिषदीय स्कूलों में बच्चों को दिया गया ड्रेस भी हॉफ है। जो डेंगू के मच्छरों से बचाव करने में कारगर नहीं है। जबकि यहां सात लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने पांच ¨बदुओं पर प्रार्थना सभा में जागरूक करने का निर्देश दिया है। 19 सितंबर को जारी हुए आदेश पर जिले में कोई असर नहीं दिखाई पड़ रहा है। यहां स्कूल पुरानी व्यवस्था के हिसाब से ही संचालित हो रहे हैं।
ऐसे बचाव करने का निर्देश
- डेंगू की रोकथाम के लिए प्रमुख सचिव ने स्कूलों में आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा में कुछ उद्घोषणा करने का निर्देश दिया है। इसमें छात्रों को स्कूल व घर के आस-पास कूड़ा व पानी इकट्ठा होने वाले पुराने बर्तन, कूलर, खाली डिब्बा, पैकेट आदि न रखने, पूरी आस्तीन का कपड़ा पहनने, एसएमएस के माध्यम डेंगू रोग से बचाव का संदेश भेजने को कहा है। मगर यहां पर इसका अनुपालन अभी नहीं शुरू किया गया है।