अभियान चलाकर भूल गए अफसरान
गोंडा: केस एक- स्थान गांधी पार्क। दो अक्टूबर 2015 को यहीं से स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया गया
गोंडा:
केस एक- स्थान गांधी पार्क। दो अक्टूबर 2015 को यहीं से स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया गया था। डीएम से लेकर आम जन तक ने इसमें हिस्सा लिया था। आज यहां की तस्वीर जुदा है। गांधी पार्क में झाड़ -झंखाड़ है। पार्क में लगी पटरियों के किनारे टूटे पत्थर पड़े हैं। यहां पर मवेशी दिन भर घूमते रहते हैं। पार्क के बाहर निकलने पर एलबीएस को जाने वाली सड़क के किनारे दो सप्ताह से कूड़ा बिखरा है।
केस दो- बस स्टेशन। स्वच्छता अभियान के शुभारंभ के मौके पर अधिकारियों व कर्मियों ने खूब झाड़ू लगाया लेकिन चंद दिनों के बाद सब खामोश हो गए। बस स्टेशन के समीप कूड़े का ढेर है। कई जगह पर गंदगी की भरमार है। जिसके कारण लोगों को दिक्कत हो रही है। बस स्टेशन पर यात्री प्रतीक्षालय के समीप भी जल भराव के साथ ही कूड़ा करकट डंप है। जिससे यात्रियों को दिक्कतें होती हैं।
केस तीन- जीआइसी गेट के समीप गोंडा-बहराइच मार्ग पर कूड़ा कचरा डंप है। थोड़ी दूर आगे चलने पर बने नाले के समीप गंदगी की भरमार है। यही नहीं जिला महिला अस्पताल के सामने भी कूड़े का ढेर है। कोतवाली के समीप पटेलनगर मोड़ पर कूड़ा करकट बिखरा होने से स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ये चंद तस्वीरें शहर के उन स्थलों की है, जहां पर पिछले साल स्वच्छता अभियान के दौरान अधिकारियों ने खूब पसीना बहाया। सड़क पर उतरे, झाड़ू लगाया। कूड़ा करकट एकत्र करके उसे फेंकवाया। कुछ दिन आम लोग भी आगे आए, इसके बाद वह पीछे हो गए। आज तस्वीर कुछ और ही है। शहर में स्वच्छता मिशन का हाल बेहाल है। शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए न तो कोई प्रयास किया गया न ही कोई विशेष कार्ययोजना बनाई गई। हैरत की बात तो यह है कि शहर के हर वार्ड में जगह-जगह गंदगी की भरमार व जलभराव के कारण नागरिक परेशान है। आए दिन नागरिक अधिकारियों के समक्ष भी अपना दर्द बयां कर रहे हैं, उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सरकारी दफ्तरों में साफ-सफाई का हाल तो और भी बेबस है, वहां पर गंदगी के साथ ही झाड़ी झंखाड़ उगे हुए हैं। इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
नतीजन, शहर में स्वच्छता अभियान दम तोड़ रहा है। स्वच्छता पर नजर रखने के लिए अफसर बेपरवाह है। यहां पर न तो कोई बैठक होती है, न ही अन्य कोई कार्रवाई। हालांकि नियमित तौर पर स्वच्छता को लेकर महीने में एकाध बार बैठक जरूर हो जाती है लेकिन कोई विशेष नीति नहीं है। अभी तक शहर में एक भी स्वच्छता दूत प्रशासन नहीं बना पाया है, जिससे स्वच्छता का नारा महज कागजी बनकर रह गया है।
जिम्मेदार के बोल
- एडीएम त्रिलोकी ¨सह का कहना है कि शहर में पालिका के माध्यम से नियमित तौर पर सफाई की जा रही है लेकिन कोई विशेष प्ला¨नग नहीं बनी है। रही बात, स्वच्छता मिशन की तो उसके अनुरूप काम करने का प्रयास किया जा रहा है।