मेधावियों के सपनों में दिखी आम आदमी की मुस्कान
गोंडा: सुखद भविष्य के साथ ही सुनहरे सपने संजोये मेधावी अपने इरादे को कामयाब करने का संकल्प जता रहे ह
गोंडा: सुखद भविष्य के साथ ही सुनहरे सपने संजोये मेधावी अपने इरादे को कामयाब करने का संकल्प जता रहे हैं। कोई वैज्ञानिक बनना चाहता है तो कोई अधिवक्ता। डॉक्टर बनकर मरीजों का दुखदर्द दूर करने के साथ ही आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आईएएस बनना भी मेधावियों का लक्ष्य है। पेश है मेधावियों से दिल की बात।
खुद की तैयारी
- हाईस्कूल में 10 सीजीपीए अंक हासिल करने वाले शहर के सिविल लाइन निवासी प्रवेंद्र कुमार श्रीवास्तव के बेटे कुशाग्र कुमार श्रीवास्तव की प्रारंभिक शिक्षा रवि चिल्ड्रेन एकेडमी से हुई। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय विद्यालय रेलवे कालोनी में दाखिला लिया। यहां पर पढ़ाई करके उन्होंने सभी विषयों में शत प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। उन्होंने प्रतिदिन छह से सात घंटे तक पढ़ाई की। साथ ही उन्होंने तैयारी इस हिसाब से की, वह जिस बिषय को पढ़ें, उसके बारे में औरों को भी पढ़ा सकें। परीक्षा पास करने के लिए उन्होंने को¨चग के बजाय स्वाध्याय का सहारा लिया। वह भविष्य में वैज्ञानिक बनना चाह रहे हैं।
पिता ने पढ़ाया
- दुखहरन नाथ मंदिर के समीप रह रहीं दीक्षा आनंद के पिता देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव व माता पूनम श्रीवास्तव दोनों शिक्षक है। महर्षि विद्या मंदिर से प्रारंभिक पढ़ाई करके हाईस्कूल में शत प्रतिशत अंक हासिल करने वाली दीक्षा का कहना है कि लक्ष्य बनाकर की गई पढ़ाई से कामयाबी निश्चित है। हर रोज छह से सात घंटे तक की पढ़ाई की। उनके पिता भी उन्हें पढा़ते थे। भविष्य में वह डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा करना चाह रही है।
हर रोज सात घंटे की पढ़ाई
- कोतवाली देहात के समीप रह रहे व्यापारी डीके गुप्ता व फाइलेरिया विभाग में बायोलाजिस्ट डॉ. कंचन गुप्ता की बेटी आस्था प्रकाश ने शत प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। फातिमा स्कूल से ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई। वह कहती है कि हर रोज सात घंटे तक की तैयारी की। जिस विषय की पढ़ाई की, उस पर पूरा ध्यान लगाया। सभी विषयों को समान समय देकर की गई पढ़ाई से ही कामयाबी मिली है। उनका कहना है कि वह भविष्य में आईएएस बनना चाह रही हैं।
टाइम टेबुल बनाकर की पढ़ाई
- सिविल लाइन निवासी व्यापारी ज्ञान बहादुर ¨सह व गृहणी शकुंतला ¨सह के बेटे रितेश ¨सह का परिवार सफलता से गदगद है। उन्होंने सफलता हासिल करने के लिए टाइम टेबुल बनाकर पढ़ाई की। सभी विषयों को समान वक्त दिया। साथ ही नोट्स का सहारा लिया। शत प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद वह अधिवक्ता बनना चाह रहे हैं। वह कहते हैं कि अधिवक्ता ही पीड़ित लोगों को न्याय दिलाता है।