खोलकर बैठे दुकान, नहीं आ रहे किसान
गोंडा: क्षेत्र के किसानों से गेहूं खरीदने के लिए खोली गईं क्रय एजेंसियां प्रभावी नहीं हैं। किसान अपन
गोंडा: क्षेत्र के किसानों से गेहूं खरीदने के लिए खोली गईं क्रय एजेंसियां प्रभावी नहीं हैं। किसान अपना गेहूं इन एजेंसियों पर न लाकर व्यापारियों या मंडी को ले जा रहे हैं। वजह क्रय केंद्रों व मंडी के भाव में समानता है।
बुधवार को पांच क्रय केंद्रों का जायजा लिया गया। जिसमें ये स्पष्ट हुआ कि किसानों का सरकारी एजेंसियों से मोह भंग हो चुका है। यूपीएसएस के चंदापुर क्रय केंद्र पहुंचने पर सचिव फतेह बहादुर ¨सह मौजूद मिले। किसान नदारद थे। सचिव ने बताया कि उनके केंद्र को 8 हजार ¨क्वटल गेहूं खरीद का लक्ष्य मिला है। एक अप्रैल से गेहूं खरीद की जा रही है। यहां केंद्र पर एक हजार बोरी व 2 लाख रुपये मिले हैं। अब तक मात्र दो किसानों से 62 ¨क्वटल गेहूं की खरीद की गई है। मझारा में अब तक 138 ¨क्वटल, गेड़सर में 480 ¨क्वटल, नगवा में 385 ¨क्वटल तथा सेहरिया में 90 ¨क्वटल गेहूं की खरीद हुई है। सेहरिया केंद्र बंधवा में निजी भवन में संचालित है। कारण पूछने पर सचिव अनूप कुमार रावत ने बताया कि ऐसा आदेश है। हर केंद्र का खरीद लक्ष्य 8 हजार ¨क्वटल है, जबकि सेहरिया को 5 हजार ¨क्वटल का लक्ष्य मिला। क्रय केंद्रों पर पर्याप्त रुपया भी है, पर किसान आखिर क्यों नहीं आ रहा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। किसानों द्वारा केंद्र पर गेहूं न लाने की वजह मंडी व सरकारी केंद्रों के भाव में एकरूपता न होना बताया। किसान जगदंबा पांडेय, जोखू प्रसाद, इस्लाम अली, घिर्राऊ ने बताया कि पहले तो सरकारी केंद्र पर समय से पैसा नहीं मिल पाता। किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही अपना अनाज बेचता है। दूसरी बात केंद्र पर खरीद के पूर्व इतने नुख्श निकाले जाते हैं, फिर इस समय मंडी का अच्छा भाव है। ऐसे में कौन धक्का खाने जाए। जबकि सचिवों ने बताया कि यहां मानक पूरा करने पर ही गेहूं लिया जाता है, जबकि व्यापारी किसान के घर से गेहूं खरीद लेता है। सरकारी भाव 1525 रुपये प्रति कुंतल है, जबकि मंडी का भाव 1510 से 1530 तक चलता है। ऐसे में किसानों को मंडी में गेहूं बेचना ज्यादा मुफीद लग रहा है। नगवा के सचिव राधेश्याम ने बताया कि यदि कुछ खरीद हो गई तो उसे एफसीआइ गोदाम कटरा में उतारने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ट्रकों को काफी समय तक रोका जाता है, जिससे भाड़े का अतिरिक्त बोझ पड़ता है।