कब बनेगी सड़क, लोगों की खत्म हो रही आस
गोंडा: सड़कों की दयनीय हालत का पुरसाहाल लेने के लिए कौन बढ़ाएगा पहला कदम। यह लोगों के लिए यक्ष प्रश्न
गोंडा: सड़कों की दयनीय हालत का पुरसाहाल लेने के लिए कौन बढ़ाएगा पहला कदम। यह लोगों के लिए यक्ष प्रश्न बन गया है। जिम्मेदार व प्रशासन दोनों के द्वारा ही उदासीन रवैया आम जनता के लिए कठिनाइयों का बड़ा सबब बन गया है। लेकिन सड़कों की हालत को सुधारने के लिए जिम्मेदारों द्वारा पहल नहीं दिखाई पड़ रही है। ऐसे में आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वादों पर वादों के बाद गौरा विधान सभा की सड़कें नहीं बन पा रही हैं। मरम्मत के नाम पर महज खानापूर्ति होकर बंद हो जाती है। उन्हें इसका खामियाजा दोहरे रूप में चुकाना पड़ रहा है। यात्रा कर रहे लोगों को समय से अपने गंतव्य पर पहुंचना नामुमकिन है। कस्बे में आने के लिए दो मुख्य सड़क मार्ग हैं। पहला सुगर मिल बभनान से होकर तथा दूसरा खोड़ारे से जमुनहा होकर कस्बे में आता है। स्थिति ये है कि दोनों मुख्य मार्गों पर आवागमन करना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल है। टूटी व गड्ढायुक्त सड़कें हादसों को बुलावा दे रही हैं।
टूटी सड़कों पर मरम्मत के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी गई है। सड़कों में मिट्टी व पत्थर के चंद टुकड़ों को डालकर मरम्मत कर दिया जाता है। ऐसे में प्रशासन व जिम्मेदारों का उदासीन रहना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। रास्ता खराब होने के कारण यात्री वाहन के चालकों द्वारा लोगों से दुगना किराया वसूला जा रहा है।
मोटरसाइकिल सवारों व अन्य वाहन स्वामियों का कहना है कि जो दूरी हमें आधे समय में तय करनी चाहिए, वह दूरी तय करने में घंटों लग जाते हैं। नई मोटर गाड़ियों की हालत भी इन सड़कों पर बिगड़ जाती है। यदि थोड़ी सी बरसात हो जाए तो सड़कों पर चलना दुर्घटना को निमंत्रण देना हो जाता है। ऐसी दशा के लिए लोग जिम्मेदारों व रशासन का उदासीन रहना मानते हैं। बभनान से मसकनवा, मनकापुर से मसकनवा, मसकनवा से गौराचौकी, बभनान से गौराचौकी की सड़क उदासीनता का उदाहरण बन चुकी है।