श्रावस्ती में होगी बाल मृत्यु के कारणों की पड़ताल
गोंडा: बाल मृत्यु के कारणों की पड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग संजीदा हो गया है। विभाग ने देवीपाटन मंड
गोंडा: बाल मृत्यु के कारणों की पड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग संजीदा हो गया है। विभाग ने देवीपाटन मंडल के श्रावस्ती जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जांच करने का निर्णय लिया है। शून्य से पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु की सूचना आशा को देनी होगी। स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों की मौत की जांच करेगी।
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की बाल मृत्युदर 64 एवं शिशु मृत्यु दर 50 प्रति हजार जीवित जन्म है। राष्ट्रीय स्तर पर बाल मृत्युदर 52 व शिशु मृत्युदर 40 प्रति हजार जीवित जन्म है। बाल मृत्यु एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में शिशु एवं बाल मृत्युदर में निरंतर कमी दर्ज की गई है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार यह कमी प्रदेश के सभी जिलों में एक समान नहीं है। विभिन्न सर्वे में पाया गया कि नवजात शिशुओं की मृत्युदर में कमी काफी धीमी है, जिसके कारण बच्चों की मृत्युदर में अपेक्षाकृत कमी नहीं हो पा रही है। ऐसे में किस आयु वर्ग, समाज तथा भौगोलिक क्षेत्रों में बाल मृत्युदर अधिक है। जनपद एवं ब्लॉक स्तर की वार्षिक नियोजन की प्रक्रिया में स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखकर बाल स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रम के क्रियान्वयन की रणनीति बनाई गई है या नहीं। बाल मृत्यु के कारणों की जांच की जायेगी। यह देखा जायेगा कि बच्चों की मृत्यु के चिकित्सकीय एवं सामाजिक क्या कारण हैं। इसके लिए देवीपाटन मंडल के श्रावस्ती जिले में बाल मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम को पायलट के तौर पर शुरू करने का निर्णय लिया गया है। देवीपाटन मंडल के मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक अर¨वद गोस्वामी ने बताया कि संबंधित जिले के सीएमओ को आवश्यक दिशा निर्देश दे दिये गये हैं।
इन्हें देनी होगी जानकारी
- ग्रामीण क्षेत्र में अगर किसी आशा के कार्यक्षेत्र में शून्य से पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु होती है तो इसकी प्रथम सूचनादाता आशा कार्यकत्री होगी।
- इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, पंचायत सदस्य एवं पंचायत सचिव सूचनादाता होंगे। शहरी क्षेत्र में प्रथम सूचनादाता आंगनबाड़ी कार्यकत्री अथवा नगर पालिका व नगर पंचायत द्वारा नियुक्त कर्मचारी होंगे।