यहां तो जिला अस्पताल की व्यवस्था ही बीमार, कैसे हो उपचार
गोंडा: वक्त, सुबह साढ़े आठ बजे, कर्नलगंज के राम प्रसाद के बेटे के सीने में तेज दर्द था। वह हृदय रोग
गोंडा: वक्त, सुबह साढ़े आठ बजे, कर्नलगंज के राम प्रसाद के बेटे के सीने में तेज दर्द था। वह हृदय रोग के डॉक्टर को दिखाना चाह रहे थे। जब वहां पहुंचे तो सन्नाटा पसरा हुआ था। हृदय रोग विभाग के गेट पर ही ताला लगा हुआ था। न तो डॉक्टर मिले, न ही कोई स्टॉफ। यही हाल, सीटी स्कैन की जांच कराने आए बच्चा लाल का भी रहा। वह बलरामपुर से 24 किलोमीटर दूर गौरा से बुधवार को निकले हैं। रात भर बलरामपुर रुकने के बाद वह सुबह गोंडा पहुंचे, लेकिन यहां पर भी सन्नाटा ही मिला।
मरीजों की परेशानी को बयां करने के लिए यह दो मामले महज बानगी भर हैं। दैनिक जागरण की टीम मंडल मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल की सेहत का हाल जानने के लिए गुरुवार की सुबह साढ़े आठ बजे पहुंची। यहां इमरजेंसी के बाहर ही कर्मचारी खड़े धूप सेंक रहे थे। इमरजेंसी गेट के बाहर कर्मचारी सफाई कर रहा था। इमरजेंसी में न तो कोई डॉक्टर मिला, न ही कर्मी। हालांकि वार्ड से एक मरीज के तीमारदार यहां पर डॉक्टर को जरूर खोज रहे थे। इससे आगे बढ़ने पर इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर का कक्ष बंद मिला। सामने चर्मरोग विशेषज्ञ का कक्ष भी खाली था। यहां पर बताया गया कि संबंधित चिकित्सक ने रात ड्यूटी की है, अभी आते होंगे। सर्जन के कमरे में भी सन्नाटा था। बाल रोग विशेषज्ञ के कमरे में भी सन्नाटा मिला। यहां पर कर्मियों ने बताया कि डॉक्टर साहब राउंड पर हैं। फिजीशियन की कुर्सी खाली थी। हड्डी रोग विभाग में भी चिकित्सक की खाली कुर्सी मरीजों को चिढ़ा रही थी। सीएमएस के कमरे में भी सन्नाटा था। आयुष ¨वग खुला हुआ था। यहां पर सफाई हो रही थी। डॉक्टर के नाम पर किसी के दर्शन नहीं हुए। क्षेत्रीय निदान केंद्र भी इन्हीं अव्यवस्थाओं से जूझता मिला। यहां पर कर्मचारी झाड़ू लगा रहा था। अंदर सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड व एक्सरे के कमरों का ताला तो खुला हुआ था, लेकिन कोई कर्मचारी नहीं था।
पेयजल की दिक्कत
- जिला अस्पताल में मरीजों के सामने सबसे ज्यादा दिक्कत पानी को लेकर है। यहां पर एक पानी की टंकी लगी हुई है, जिससे शुद्ध पानी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। पानी साफ न होने के कारण मरीजों को बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। क्षेत्रीय निदान केंद्र के समीप कोई हैंडपंप नहीं है, जिससे यहां पर अल्ट्रासाउंड जांच कराने वाले मरीजों को जब पानी पीकर आने को कहा जाता है तो उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है।
मरीजों की सुनिए
- बच्चा लाल मौर्य का कहना है कि अस्पताल में समय से चिकित्सकों को बैठना चाहिए, जिससे मरीजो को कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े। खुशीराम का कहना है कि वह सुबह चार बजे से घूम रहे हैं। बच्चे की तबियत खराब है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। दीपक का कहना है कि अधिकारियों को देखना चाहिए कि समय से डॉक्टर अस्पताल में बैठें, जिससे मरीजों को कोई दिक्कत न हो। मंजू देवी का कहना है कि डॉक्टर ने जांच के लिए लिखा है, लेकिन अभी तक कोई आया ही नहीं।
जिम्मेदार के बोल
- कार्यवाहक सीएमएस डॉ. विकास चंद्र गुप्ता का कहना है कि कुछ डॉक्टर आ गए हैं, जो राउंड पर हैं। जो अभी तक नहीं आए हैं, उनके बारे में जानकारी की जा रही है।