देश की अखंडता एवं एकता को नीति व नीयत ठीक रहना जरूरी
गोंडा: क्षेत्र में हो रही श्रीराम कथा के अंतिम दिन कथावाचक विजय कौशल महराज ने मां सीता को रावण द्वार
गोंडा: क्षेत्र में हो रही श्रीराम कथा के अंतिम दिन कथावाचक विजय कौशल महराज ने मां सीता को रावण द्वारा हरण करने व हनुमान जी के साथ लंका पहुंचकर युद्ध में रावण का विनाश किए जाने की कथा श्रोताओं को सुनाई।
उन्होंने कहा कि किया जाने वाला कार्य अच्छा-बुरा होता है। शगुन-अपशगुन कुछ नहीं होता। बुराई से समझौता कर सद्गुणों को नहीं पाया जा सकता है। अहंकार को केवल भगवान ही मार सकते हैं। कुंभकरण भी अहंकारी था। बुरे आदमी से संबंध रखने पर उसकी प्रसन्नता भी अच्छी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाने में नीति व नियत दोनों का ठीक रहना जरूरी है। भगवान राम ने सीता माता को वापस लाने के लिए युद्ध से पहले कई प्रयत्न किये। रावण के परिवार से भी भाई विभीषण व पत्नी मंदोदरी द्वारा रावण को समझाने का प्रयास बहुत किया गया, लेकिन उसने किसी की भी बात नहीं सुनी। कथा में कहा गया कि बिना शिव कृपा के शुभ घड़ी आ ही नहीं सकती। इसीलिए भगवान राम ने रामेश्वरम में शिव जी की पूजा है। रावण भी बहुत बड़ा शिव भक्त था, इसलिए भगवान राम ने शिवजी से प्रार्थना की है कि यदि आप मेरा सहयोंग न कर सकें तो उसका भी न करें। भगवान राम द्वारा लंका पर विजय प्राप्त कर अवधपुरी में पहुंचने की कथा का बड़ा सुंदर वर्णन कथावाचक ने किया। कथा के अंत में उपस्थित आयोजकों सहित हजारों लोगों ने भगवान राम की आरती की। रविवार को अंतिम दिवस होने पर हवन-पूजन के कार्यक्रम के बाद भंडारा शुरू हुआ, जो देर शाम तक चला।