परदेस से आया 'गांव की सरकार' का वोट
गोंडा: गोनवा गांव के कृष्ण कुमार मिश्र, हरि प्रसाद, अमरनाथ दिल्ली में रहकर नौकरी करते हैं। बात गांव
गोंडा: गोनवा गांव के कृष्ण कुमार मिश्र, हरि प्रसाद, अमरनाथ दिल्ली में रहकर नौकरी करते हैं। बात गांव की सरकार के गठन की है तो वह भी परदेस से अपने घर आ गए। जब उनसे पूछा गया कि आखिर ऐसा क्या है, जो उन्हें यहां खींच लाया। उनका जवाब था कि गांव के विकास का मामला है। हमारा परिवार यहां गांव में है। गांव का विकास हो, बस इसीलिए वह यहां पर आ गए। वह कहते हैं कि जब तक सभी लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करेंगे तब तक गांव का विकास कैसे होगा। इसलिए सभी को मिलकर मतदान में प्रतिभाग करना चाहिए।
यह नजारा शनिवार को ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के लिए हुए पहले चरण के चुनाव में नजर आया। बालपुर कस्बे में कई ऐसे लोग हैं, जिनके परिवार के सदस्य बाहर रहते हैं। चुनाव का वक्त आया तो सभी घर आ गए। हर कोई शनिवार की सुबह से ही मतदान केंद्र तक जा पहुंचा। मतदान के दौरान लोगों ने गांव के विकास को तरजीह दिया। परसा गोड़री के बूथ पर मिले पंकज का कहना था कि उसके घर के चार लोग दिल्ली में रहते थे, सभी आए हुए हैं। कानपुर में रहकर तैयारी कर रही सुमन अपने भाई के साथ घर आई हुई हैं। मतदान केंद्र के बाहर वोट डालने के बाद उनके चेहरे पर अजीब सी चमक थी। उनका कहना था कि गांव का विकास सर्वोपरि है। इसके साथ ही इलाहाबाद में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे शिवेंद्र भी मतदान करने के लिए घर आए हुए हैं। भगतराम का कहना था कि इस चुनाव में गांव के विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। चुनाव मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों में से यह देखना चाहिए कि कौन उपयुक्त उम्मीदवार है। योग्य प्रत्याशी का चुनाव करने से ही गांव का विकास होता है।
नहीं मिला वाहन तो ठेलिया बना साधन
- प्रधानी चुनाव के कारण कहीं वाहन नहीं मिला तो रामहेतपुरवा के उमाशंकर पासवान का परिवार काफी परेशान हुआ। बस्ती से वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ घर आ रहे थे। रास्ते में जब वह बालपुर पहुंचें तो वहां से वाहन नहीं मिला। जिसके कारण उन्हें परिवार के साथ ठेलिया का सहारा लेना पड़ा।