तेल का खेल, माफिया पास, अधिकारी फेल
गोंडा : जिले के 11 ऑयल डिपो से कार्डधारकों के लिए उठाए जा रहे केरोसिन में खेल हो रहा है। कोटेदार व म
गोंडा : जिले के 11 ऑयल डिपो से कार्डधारकों के लिए उठाए जा रहे केरोसिन में खेल हो रहा है। कोटेदार व माफियाओं की मिली भगत के चलते कार्डधारकों के घरों में ढेबरी व लालटेन नहीं जल रहे हैं। शहर व कस्बों में स्थित दुकानों से केरोसिन बेचा जा रहा है। इनके पास केरोसिन कौन पहुंचा रहा है। इसकी भी पड़ताल करना अधिकारी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो डिपो पर उठान के समय ही कोटेदार तेल माफियाओं के हाथों केरोसिन के ड्रम बेच देते हैं। इसे डीजल में मिलावट कर महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। लेकिन पूर्ति महकमा व प्रशासनिक अधिकारी तेल की कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लगा रहे हैं। इससे गरीबों के घरों से अंधेरा नहीं दूर हो पा रहा है। जिले में 594901 कार्ड धारकों के लिए प्रतिमाह 2028 किलोलीटर केरोसिन की उठान माह की एक से 20 तारीख तक कोटेदारों को कराई जाती है। प्रति कार्डधारक तीन लीटर के हिसाब से तेल का वितरण कराया जाता है। कोटेदारों के द्वारा उठाए गए केरोसिन का सत्यापन भी होता है। सूत्रों की मानें तो 100 रुपए प्रति ड्रम के हिसाब से बिना मौके पर गए ही सत्यापन रिपोर्ट लगा दी जाती है। डिपो से 4500 रुपए प्रति ड्रम के हिसाब से बेच दिया जाता है। एक कोटेदार के मुताबिक प्रति ड्रम 20 रुपए डिपो पर कर्मचारी ले लेते हैं। इसके बाद भी दो सौ लीटर के बजाए 190 लीटर तेल भरते हैं। कभी अधिकारी मौके पर जांच करने नहीं आते हैं। उन लोगों को भाड़ा भी देना रहता है। 15.80 रुपए प्रति लीटर तेल कार्डधारकों को वितरित किया जाता है। कोआपरेटिव सोसाइटी को दिए जाने वाले तेल के बारे में अधिकारी पूरी तरह से अंजान है। कार्डधारक मनोज व रमेश निवासीगण सिविल लाइन ने बताया कि कोटेदार तेल देता ही नहीं है। वह लोग 40 रुपए लीटर तेल चौक बाजार से खरीद कर ले आते हैं। रामअवध व राम प्रसाद निवासी मथुरा चौबे का कहना है कि गांव में बिजली की आपूर्ति बद से बदतर है। ढेबरी व लालटेन जलाने के लिए वह लोग ब्लैक में तेल खरीदते हैं। तेल माफियाओं के काकस के आगे अधिकारी बेबस नजर आ रहे हैं। कार्डधारकों के हिस्से का तेल माफियाओं के गोदामों में डंप हो रहा है। नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक तीस से 40 रुपए लीटर तेल खुलेआम बेचा जा रहा है। जिला पूर्ति अधिकारी विमल शुक्ल ने बताया कि तेल की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने की पूरी जिम्मेदारी उपजिलाधिकारियों की है। उन्हें जहां से शिकायतें मिलती है, वहां अपने स्तर से जांच कराते हैं।