अफसरों की लापरवाही में पिस रहा भविष्य
गोंडा: इसे अफसरों की लापरवाही कहें या लाचारी। राजकीय बालिका हाईस्कूल पेड़ारन का निर्माण अभी पूरा ही न
गोंडा: इसे अफसरों की लापरवाही कहें या लाचारी। राजकीय बालिका हाईस्कूल पेड़ारन का निर्माण अभी पूरा ही नहीं हुआ है, बावजूद इसका संचालन किया जा रहा है। यहां पर 9 वीं की कक्षाएं प्राइमरी व दसवीं की कक्षाएं जूनियर स्कूलों में चल रही है। विज्ञान विषयों के प्रयोग के नाम पर बच्चे कुछ जानते ही नहीं है। दरअसल, यहां पर अभी इंतजाम ही नहीं है।
वर्ष 2012 में स्वीकृत राजकीय बालिका हाईस्कूल पेड़ारन का निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण कार्य को लेकर समय सीमा निर्धारित की गई। जिम्मेदारी सौंपी गई। बावजूद इसके अभी तक निर्माण कार्य अधूरा है। स्कूल का निर्माण पूरा न होने के कारण परेशान अफसरों ने स्कूल का संचालन करवा दिया। इसके लिए यह भी नहीं देखा कि बगैर स्कूल का भवन पूरा हुए ही बच्चे कहां पढ़ेंगे, क्या सीखेंगे। इन जैसे तमाम सवालों के साथ शुरू हुए स्कूल का संचालन प्राइमरी व जूनियर स्कूल के एक-एक कमरों में कर दिया गया। न तो यहां पर कोई प्रयोगशाला है, न मैदान। न ही बच्चों के सीखने का अन्य कोई प्रबंध। अव्यवस्थाओं के बीच यहां पर प्रधानाचार्य के साथ ही तीन अन्य शिक्षक कार्यरत है। स्कूल में इन दिनों कुल 31 बच्चे पंजीकृत है। स्कूल का निर्माण पूरा न होने की वजह से यहां पर तैनात स्टॉफ व स्कूली बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिम्मेदार के बोले हो रहा प्रयास- राजकीय बालिका हाईस्कूल पेड़ारन के प्रधानाचार्य व राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित सीबी ¨सह का कहना है कि कॉलेज का स्तर बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जो भी संसाधन है, उसी में काम किया जा रहा है। पिछले साल स्कूल के 47 बच्चों ने बोर्ड की परीक्षा दी थी, सभी पास हो गए हैं।
स्थानीय लोगों के बोल- राकेश शुक्ला का कहना है कि अधिकारियों को सबसे पहले स्कूल का निर्माण पूरा कराकर ही संचालन कराना चाहिए। जगदंबा प्रसाद का कहना है कि बगैर स्कूल बने संचालन कैसे हो रहा है, यह जांच का विषय है। शीतला बख्श ¨सह का कहना है कि अधिकारियों को इसके प्रति जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। अर¨वद मिश्र का कहना है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। प्रमोद तिवारी का कहना है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकें, इसको लेकर प्रयास किए जाने चाहिए। सुधा मिश्रा का कहना है कि बेटियों के लिए बेहतर शिक्षा का इंतजाम किया जाना चाहिए। नगमा खान का कहना है कि सभी विषयों के शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। ऐश्वर्या वर्मा का कहना है कि स्कूल का निर्माण पूरा हो सके, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। शांभवी तिवारी का कहना है कि सरकार को पहले व्यवस्था तो बेहतर देनी चाहिए। शिवपूजन का कहना है कि स्कूल का निर्माण पूरा कराकर शिक्षकों की तैनाती की जानी चाहिए।