Move to Jagran APP

खुद फीस देकर लिया प्रवेश, किताबें भी दीं

गोंडा: आज का दिन खास है। तस्मै श्री गुरुये नम: के साथ गुरुजनों का नमन करने का अवसर है। आइए, हम आपको

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 12:08 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 12:08 AM (IST)
खुद फीस देकर लिया प्रवेश, किताबें भी दीं

गोंडा: आज का दिन खास है। तस्मै श्री गुरुये नम: के साथ गुरुजनों का नमन करने का अवसर है। आइए, हम आपको कुछ ऐसे गुरुजनों से मिलाते हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को आगे लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। आज भी वह कुछ बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं, जिन्होंने एक नई सोच को विकसित करने का प्रयास किया है। इसी पर रिपोर्ट:

loksabha election banner

मनकापुर शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय दलीपपुरवा में तैनात शिक्षक मनीष वर्मा ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को कान्वेंट स्कूलों के मुकाबले खड़े करने की मुहिम में लगे हुए हैं। यहां पर उन्होंने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की क्षमता का विकास करने के लिए हर स्तर पर कोशिश की, उन बच्चों के अभिभावकों से मिले, जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते थे। उनकी कोशिश रंग लाई आज उनके स्कूल का हर बच्चा नियमित तौर पर स्कूल आता है। यहां पर पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान कराने के लिए बच्चों की डिक्शनरी तैयार कराई जाती है। जिसमें मिड डे मील में रोजाना पड़ने वाले मसालों, सब्जियों व अनाजों के अंग्रेजी के नाम बताए जाते हैं, यही नहीं छुट्टी के दिन आसपास की चीजों का नाम बच्चों के नोटबुक में लिखाए जाते हैं। साथ ही यहां पर विज्ञान की प्रयोगशाला है। बच्चों को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कागज के शिल्प सहित अन्य गतिविधियों की जानकारी दी जाती है। मनीष को बेहतर शिक्षा के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।

मुजेहना शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय धर्मेई में भी स्वरूप बदलने की कोशिश में शिक्षक रवि मिश्र जुटे हुए हैं। उनके स्कूल में कुल 114 बच्चे पंजीकृत है। यहां पर पढ़ने वाली कक्षा एक की छात्रा भी अंग्रेजी बोल रही है। ग्रामीण इलाके का स्कूल होने के बाद भी बच्चों को हर दिन के बारे में जानकारी है। मसलन, हर दिन के इतिहास की जानकारी बच्चों को है। प्रार्थना सभा में ही इसकी जानकारी बच्चों को दे दी जाती है। साथ ही होने वाली खेलकूद व अन्य गतिविधियों के जरिए विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता का गुण विकसित किया गया है। बेटियों को कई ऐसी जानकारियां दी जा रही है, जिससे उन्हें स्वरोजगार से भी जोड़ा जा सके।

राजकीय बालिका उमावि जमदरा की प्रधानाचार्या शाहीन मलिक का कहना है कि उनकी तैनाती जब यहां पर हुई तो नया स्कूल होने के कारण दिक्कत थी। एक छात्रा थी, जो नियमित तौर पर स्कूल आती थी। बीच में उसने स्कूल आना बंद कर दिया। चार पांच दिनों तक उसके न आने पर वह खुद उसके घर गई तो पता चला कि उसके पिता का निधन हो गया है, घर की स्थिति ठीक नहीं है, जिसकी वजह से अब वह नहीं पढ़ सकती। ऐसे में उसकी मां को समझाया, बिटिया को स्कूल लाकर उसकी फीस जमा की। उसे किताबें दिलाई। आज भी वह आधा दर्जन बेटियों की पढ़ाई का जिम्मा खुद संभाल रही है। उनका कहना है कि दसवीं के बाद बेटियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े जाने की उनकी कोशिश है।

राजकीय बालिका उमावि गिलौली की प्रधानाचार्या कंचन बाला सक्सेना अपने स्कूल में हर बच्चे की उसकी क्षमता के हिसाब से उसका आकलन करती है। पर्यावरण संरक्षण की बात हो या फिर उनमें वैज्ञानिक चेतना का विकास करने की पहल। हर मुद्दे पर बच्चों की प्रतियोगिताएं होती है। जिसमें शत प्रतिशत सहभागिता, उनकी क्षमता का विकास, नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने वाली गतिविधियों को आयाम देने में वह रात दिन एक किए हुए हैं। पिछले साल उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रधानाचार्य का खिताब भी मिल चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.