वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है..
गोंडा: उनके आने से जो आ जाती है चेहरे पे रौनक, वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है.. जी हां, यह लाइन
गोंडा: उनके आने से जो आ जाती है चेहरे पे रौनक, वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है.. जी हां, यह लाइन जिला महिला अस्पताल का दर्द बयां करने के लिए काफी है। एक तो डॉक्टरों की कमी, ऊपर से समय से ओपीडी में न बैठने, जांच के लिए मरीजों की बाहर जाने की विवशता यहां पर दर्द को कम करने के
बजाय उसे बढ़ा रही है। अस्पताल में मेडिकल कचरा डंप होने से इंफेक्शन फैलने का भले ही खतरा बढ़ रहा हो लेकिन जिम्मेदार बेपरवाह है। मुख्यालय स्थित जिला महिला अस्पताल में शुक्रवार व सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे ओपीडी में सिर्फ दो महिला चिकित्सक ही बैठी थी। अन्य चिकित्सकों की ओपीडी खाली थी। महिला चिकित्सक डॉ. ललिता डिलेवरी रूम में थी। यहां पर मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी। इसके साथ ही यहां पर अल्ट्रासाउंड कक्ष पर ताला लटक रहा था। अभी तक डॉक्टर ही नहीं आए थे। जिसके कारण जिन मरीजों को डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच लिख रहे थे, वह बाहर से जांच कराने के लिए विवश दिखे। अस्पताल में पेयजल के लिए लगे हैंडपंप खराब नजर आए, जिससे मरीज बाहर से पानी लाकर पीने को विवश दिखे। वार्डों में बेड से चादर गायब थी। साथ ही कई जगहों पर बेडों की हालत खराब थी। मैटर्न कमरे के सामने गंदगी से लोग परेशान थे। यहां पर आने जाने वाले मरीजों को नाक पर रुमाल रखकर ही निकलना पड़ा। इसके साथ ही रैन बसेरा का हाल भी बेहाल था, यहां पर कुत्ते आराम फरमा रहे थे। सीएमएस आफिस के सामने आशा कक्ष में एनएचएम की सामग्री डंप पड़ी थी। यहां पर एक एंबुलेंस खराब होकर खड़ी थी। यहां पर चार माह से मेडिकल कचरा डंप है, जिससे समस्या आ रही है।
इनसेट
अस्पताल या स्टैंड- महिला अस्पताल की ओपीडी से लेकर प्राइवेंट वार्ड के सामने वाहनों का जमावड़ा होने से मरीजों को काफी परेशानी से जूझना पड़ रहा है। ओपीडी तक पहुंचने में मरीजों को दिक्कतें हो रही है। यह हाल तब है जब यहां पर
होमगार्ड की तैनाती है।
इनसेट
सुधारें व्यवस्था- रेखा दूबे का कहना है कि वह एक घंटे से डॉक्टर का इंतजार कर रही है, कुछ देर पहले डॉक्टर आई हैं। जिन्हें दिखाने के लिए वह लाइन लगाए हुए हैं। पूनम देवी का कहना है कि जिस डॉक्टर को दिखाना है, वह अभी आई नहीं है। जिससे परेशानी हो रही है। हुसैना का कहना है कि पहले लंबी लाइन तो कम हो, फिर डॉक्टर को दिखाएं। नयना का कहना है कि अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है, जिससे समस्या हो रही है। आरती का कहना है कि अस्पताल में जांच न होने के कारण उसे बाहर से अल्ट्रासाउंड की जांच करानी पड़ी है।
इनसेट- जिला महिला अस्पताल के प्रभारी सीएमएस डॉ. अनिल तिवारी का कहना है कि समय से चिकित्सक
ओपीडी करें, इसके लिए प्रयास किया जा करें। मेडिकल कचरा डंप होने की जानकारी अधिकारियों को दी जा चुकी है। साथ ही अन्य खामियों को सुधारा जा रहा है।