पग-पग पर गड्ढे, उसमें जलभराव, राह चलना हुआ दुश्वार
गोंडा : झिलाही से मोतीगंज होते हुए दतौली तक मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो चुके हैं। सड़क टूटकर क्षतिग्रस्
गोंडा : झिलाही से मोतीगंज होते हुए दतौली तक मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो चुके हैं। सड़क टूटकर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। छर्रियां व पत्थर मार्ग पर बिखरे हैं। बारिश में गड्ढों में पानी भर जाता है। इससे गड्ढों का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। वाहन इन गड्ढों में फंसकर पलट रहे हैं। यही नहीं, दो पहिया वाहनों व पैदल चलने वाले लोगों को घुटने-घुटने पानी में होकर चलना पड़ रहा है। बावजूद इसके जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार अफसरों की नींद नहीं टूट रही है। खामियाजा करीब पांच लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
अफसर सोए, हम रोए
-राजेश कुमार बनवारी का कहना है कि झिलाही से मोतीगंज तक मार्ग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। राह चलने में दिक्कतें होती है। सबसे ज्यादा दिक्कत रात में आवागमन में होती है, जब अंधेरा होता है। आए दिन लोग गड्ढे में फंसकर चोटहिल हो जाते हैं। लेकिन लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को उन लोगों की दिक्कतों से कोई मतलब नहीं रह गया है। वह अपनी कुर्सी छोड़कर साइड पर निकलना ही नहीं चाहते हैं। इससे सड़क दिन प्रतिदिन टूटती चली गई।
-राधेश्याम चौहान का कहना है कि वह दोनों पैरों से विकलांग है। मोतीगंज बाजार से मोतीगंज थाने तक जाने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त हो टूट चुका है। बारिश का पानी सड़क पर भरा हुआ है। घुटने-घुटने पानी में होकर वह आने-जाने को विवश है। कई बार तो वह पानी में गिर भी चुका है। सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं, बुजुर्गों व स्कूली बच्चों को होती है जो इस गंदे में होकर निकलने को विवश है। बावजूद इसके अधिकारी गंभीर नहीं है।
-राधामोहन पांडेय का कहना है कि मोतीगंज से दतौती तक रोजाना करीब 20 हजार लोगों का आवागमन होता है। उक्त मार्ग से चौपहिया वाहन व ट्रक भी फर्राटा भरते हैं जो आए दिन गड्ढों में फंस रहे हैं। कई वाहन तो सड़क पर हुए दलदल में फंसकर पलट चुके हैं। सड़क की मरम्मत कराने वाले जिम्मेदार अफसर व जनप्रतिनिधि सोए हुए हैं। वह लोग बेबशी का आंसू रोने को मजबूर है। यदि प्रशासन ने सड़क की मरम्मत नहीं करवाई तो क्षेत्रवासियों के सब्र का बांध कभी भी फूट सकता है।
क्या कहते हैं नोडल अधिकारी
नोडल अधिकारी व प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता एससी वर्मा का कहना है कि जिले के अमूमन सभी मार्ग मरम्मत योग्य है। मार्ग जर्जर है। मार्गों का निरीक्षण किया जा चुका है। नए निर्माण व मरम्मत के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। शासन से प्रस्ताव मंजूर होते ही सड़क निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।