स्मार्ट नहीं 'गुमनाम' सिटी कहिए जनाब !
गोंडा: नाम भले ही स्मार्ट हो, लेकिन काम एकदम उल्टा। यहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी पब्लिक ही नही
गोंडा: नाम भले ही स्मार्ट हो, लेकिन काम एकदम उल्टा। यहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी पब्लिक ही नही कर्मचारियों को भी नही है। विकास के लिए परियोजनाओं की बात हो या आमआदमी को मिलने वाली आवश्यक सेवाओं का, कुछ भी आसानी से पता नहीं चल सकता। जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं का लाभ कैसे जनता को मिलेगा, इसकी जानकारी तक सूचना पट पर नही है। ऐसे में पारदर्शिता की उम्मीदें करना बेमानी है। यदि शहर स्मार्ट सिटी बनाना है तो सबसे पहले योजनाओं के संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए सिटी की ई-मासिक पत्रिका जारी करनी होगी।
जिले में शहरी क्षेत्र-नगर पालिका परिषद गोंडा-नगर पालिका परिषद नवाबगंज-नगर पालिका परिषद कर्नलगंज-नगर पंचायत खरगूपुर-नगर पंचायत कटराबाजार-नगर पंचायत मनकापुर
औसत अंक: (5-1)
शहर में कब क्या हुआ, आगे क्या होगा। ये जानना किसी बड़ी जंग से कम नहीं है। सबकुछ यहां तो परदे के पीछे से होता है। ऐसे में सरकारी योजनाओं के संचालन में पारदर्शिता बेमानी है। ''
-प्रवेश मिश्र, नागरिक
औसत अंक: (5-0)
शहर में विकास कार्य की जानकारी जब कार्य शुरू होता है, तब होती है। लेकिन लंबाई व लागत क्या है, ये पता लगा पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ''
-रविप्रताप, युवा
औसत अंक: (5-2)
नगर पालिका लोगों के क्या सेवायें दे रही है, इसका पता जनता को नहीं है। हैरत की बात तो ये है कि कर्मचारी भी पूछने पर जानकारी न होने की बात करते हैं, ऐसे में पारदर्शिता का कोई सवाल ही नहीं उठता। ''
-वीके श्रीवास्तव, नागरिक
औसत अंक: (5-2)
नगर पालिका प्रशासन को अपनी सारी सेवायें ऑनलाइन करके ई- मासिक पत्रिका निकालनी चाहिए, जिससे लोगों को हरकार्य की जानकारी आसानी से मिल सके। अभी तक इस क्षेत्र में कोई ठोस प्रयास नही हुआ। ''
-ममता किरण राव, शिक्षक
औसत अंक: (5-1)
एक प्रमाण पत्र के लिए नगर पालिका में कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं, इसके पीछे की वजह यह है कि सही जानकारीन होना। यदि पब्लिक को सही जानकारी आसानी से मिल जाय तो फिर समस्या आने का कोई सवाल ही नहीं उठता।''
-दिनेश श्रीवास्तव, कर्मचारी
औसत अंक: (5-2)
नगर पालिका प्रशासन का दायित्व है कि हर नागरिक को आवश्यक सेवायें पूरी पारदर्शिता के साथ समय से मिलें, लेकिनइसके लिए एक ठोस पहल की जरुरत है। अभी तक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बनाई गई है, जिससे लोगों को भटकना न पड़े। ''
-लक्ष्मीप्रसाद, कर्मचारी
औसत अंक: (5-3)
शहर में सार्वजनिक स्थलों पर न पेयजल की सुविधा है और न ही सुलभ शौचालय की। जिससे सबसे बड़ी दिक्कत
महिलाओं को उठानी पड़ रही है। समस्याओं को समाधान कैसे होगा, इसका भी ठोस जानकारी नहीं मिल पाती। ''
-रमेश ¨सह, नागरिक
औसत अंक: (5-2)
जब तक सेवाएं पारदर्शी नहीं होंगीं तबतक जनता को पूरा लाभ नहीं मिलेगा। आवश्यक सेवाओं की जानकारी लोगों तकपहुंचाने के लिए सिस्टम को सुधारना चाहिए। ''
- सुधीर ¨सह, कर्मचारी
औसत अंक: (5-0)
नपाप प्रशासन को अपनी सारी सेवायें सार्वजनिक करके लाभ के लिए आवश्यक जानकारियां ऑनलाइन करनी चाहिए। कब क्या हुआ, आगे क्या होगा। इसकी जानकारी भी समय से देनी चाहिए। ''
- मातादीन, कर्मचारी