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आपदा में भी माननीय सेंक रहे सियासी 'रोटियां'

गोंडा: जनता अपनी हक की लड़ाई लड़ने के लिए जनप्रतिनिधियों को चुनती है, फिर भी जनप्रतिनिधि संकट की घड़ी म

By Edited By: Published: Wed, 22 Apr 2015 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2015 11:43 PM (IST)

गोंडा: जनता अपनी हक की लड़ाई लड़ने के लिए जनप्रतिनिधियों को चुनती है, फिर भी जनप्रतिनिधि संकट की घड़ी में भी साथ नहीं देते। राजा हो या रंक कोई भी भूखा न रहे, इसके लिए किसान खेतों में गर्मी, बरसात व ठंड की परवाह किए बिना खेतों में दिनरात मेहनत करता है, लेकिन जब उसके ऊपर मुसीबत आती है तो यही लोग सियासी रोटियां सेंकने में जुट जाते हैं। जिले में 2.01 लाख हेक्टेयर में किसानों ने रबी की बुवाई की थी। अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से अधिकांश फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन अधिकारी 33 फीसदी से अधिक नुकसान दो गांवों को छोड़कर अन्य गांवों में होने से इंकार कर रहे हैं। बुधवार को जब फसलो के नुकसान से किसानों को राहत देने के नाम पर किये गये प्रयासों पर जब सांसद, विधायक व राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्षों से वार्ता की गई तो यहां भी एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगाने से वे नहीं चूके।

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इज्जत बचाने के लिए बनवाई जा रही फर्जी रिपोर्ट

प्रदेश सरकार अपनी इज्जत बचाने के लिए झूठी रिपोर्ट दे रही है। अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से हुए नुकसान का गलत आंकलन करके मुआवजा देने से बचा जा रहा है। केंद्र सरकार ने उपलब्ध बजट खर्च करके आवश्यतानुसार डिमांड करने की मांग की थी, लेकिन प्रदेश सरकार के पास अब भी 600 करोड़ रुपये का बजट अवशेष है। मौसम की मार से सभी किसानों को नुकसान हुआ है, जिसके लिए देश के कृषि मंत्री व प्रधानमंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री को अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही मुआवजा दिलाने के लिए पत्र लिखा गया है। लेकिन जहां तक जिले में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए कराये गये सर्वे रिपोर्ट का सवाल है तो फर्जी है, इसके लिए कृषि मंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर गोंडा जिले का केंद्रीय टीम से विशेष सर्वे कराने की मांग की जायेगी।''

-बृजभूषण शरण ¨सह, सांसद/राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय कुश्ती संघ

एसी रूम में बैठकर हो गया सर्वे

जिला प्रशासन की सर्वे रिपोर्ट तथ्यों से परे है, अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से फसलें नष्ट ही उत्पादन में भी जबरदस्त गिरावट आई है। लेकिन यहां तो एयर कंडीशन आफिसों में बैठकर सर्वे कर लिया गया। प्रदेश सरकार राहत देने की जगह पैसा बचाने में जुटी है। यहां किसान तबाह हो गया और प्रशासन 100 हेक्टेयर के नुकसान की रिपोर्ट भेज रहा है, ये हास्यास्पद है। जिले में फिर से सर्वे कराने के साथ ही सभी किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री से मिलकर मांग की जायेगी। ''

-कीर्तिवर्धन ¨सह, सांसद गोंडा

फसल नुकसान के सदमे से नहीं हुई किसान की मौत

प्रदेश सरकार किसानों की सरकार है, इसी लिए ये वर्ष किसान वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। आपदा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने 1088 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। केंद्र सरकार द्वारा सिर्फ सर्वे कराया जा रहा है राहत के नाम पर अभी तक फूटीकौड़ी भी प्रदेश सरकार को नहीं दी गई है। ये हालात तब है जब प्रदेश के ही गृहमंत्री व प्रधानमंत्री हैं। अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से हुए नुकसान आंकलन जिला प्रशासन से कराया जा रहा है। प्रभावित किसानों को तत्काल सहायता देने के निर्देश दिये गये हैं। मेरे तहसील क्षेत्र में किसी भी किसान की फसल नुकसान होने के सदमे से मौत नहीं हुई है।''

-योगेश प्रताप ¨सह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री

सर्वे से मैं सहमत

जिला प्रशासन द्वारा कराये गये सर्वे से मैं पूरी तरह से सहमत हूं, केंद्र सरकार की बेरुखी से ही किसानों को मुआवजा देने में थोड़ा बिलंब हुआ है। आपदा से पीड़ित किसानों को हर संभव मदद दी जायेगी।''

-विनोद कुमार ¨सह उर्फ पंडित ¨सह, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री

खेतों में जाकर हो सर्वे

प्रशासन के सर्वे रिपोर्ट की जानकारी अभी तक तो हमें नहीं मिली है, फिर भी किसी एक स्थान का सर्वे करके नुकसान का आकलन करना ठीक नहीं है। नुकसान की सही जानकारी के लिए सर्वे हर किसान के खेतों में जाकर उसकी मौजूदगी में होना चाहिए। जिससे सही स्थिति सामने आ सके, मैं ये बात तो दावे के साथ कह सकती हूं, कि नुकसान तो हर किसान का हुआ है। मैं इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री जी से मिलकर अपनी बात कहूंगी, किसान का हित हमारे व सरकार के लिए सर्वोपरि है।''

-नंदिता शुक्ला, विधायक मेहनौन

मुख्यमंत्री से करुंगा दुबारा सर्वे की मांग

अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से हर किसान का कुछ न कुछ नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार किसानों को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मैं प्रशासन द्वारा कराये गये नुकसान के सर्वे से पूरी तरीके से संतुष्ट नहीं हूं, सर्वे का आकलन क्राप क¨टग के अनुसार हुआ है। जबकि नुकसान का सही आकलन खेतों में जाने से ही हो सकता है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री से मिलकर जल्द ही दुबारा सर्वे कराने की मांग करुंगा। जिससे हर किसान को थोड़ी बहुत राहत मिल सके।''

-अवधेश कुमार ¨सह उर्फ मंजू ¨सह, विधायक तरबगंज


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