अफसरों की मौनस्वीकृति से गैस कालाबाजारी
गोंडा : जिला प्रशासन चाहे तो गैस कालाबाजारी का खेल खुल सकता है बशर्ते प्रयास निष्पक्षता से अफसर धर्म
गोंडा : जिला प्रशासन चाहे तो गैस कालाबाजारी का खेल खुल सकता है बशर्ते प्रयास निष्पक्षता से अफसर धर्म निभाते हुए हो। गैस किल्लत के इस खेल में एजेंसियों पर गड़बड़ी की बू तो आ ही रही है। अचानक इस तरह की गैस किल्लत क्यों हो गई। उपभोक्ता तो पहले भी इतने थे, फिर अचानक से गैस किल्लत क्यों हो गई। लोड और उपभोक्ताओं की संख्या के सापेक्ष वितरण की असलियत की पड़ताल क्यों नहीं कराई जा रही है। जनता के इस दर्द को अफसर आखिर नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं।
अब जरा कुछ प्रमुख गैस एजेंसियों पर गैस सिलेंडर की किल्लत के बारे में भी जान लीजिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सहकारी गैस एजेंसी पर 1878, मंगलम गैस एजेंसी पर दस हजार, शहीद सत्यवान पर आठ हजार व कोको पर 3320 उपभोक्ताओं की गैस लंबित है। किल्लत वाली समय सीमा में शहर की एजेंसियों को कितने लोड मिले? क्या सभी उपभोक्ता अपने गैस सिलेंडर को 21 दिन में ही निपटा देते हैं। इस सबके उलट शहर में घरेलू गैस का दुरुपयोग कैसे हो रहा है? इस पर अंकुश लगाने के लिए कब अभियान चलाया गया, शायद ही किसी को याद हो। मतलब साफ है कि इस गड़बड़झाले में कहीं न कहीं अफसरों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। स्वयंसेवी संगठन, राजनीतिक दलों के नुमाइंदों को भी जनता के दु:ख दर्द से कोई मतलब नहीं है।
सुधरेगी की व्यवस्था
गोंडा : जिला पूर्ति अधिकारी विमल शुक्ल ने रविवार को एजेंसी संचालकों के वितरण स्थल का निरीक्षण किया। उपभोक्ता व एजेंसी संचालक से बातचीत की। डीएसओ शुक्ल ने बताया कि 30 मार्च तक बु¨कग कराने वाले उपभोक्ता सोमवार को अपने एजेंसी से संपर्क कर रसोई गैस की आपूर्ति लेना सुनिश्चित करे। उन्होंने बताया कि टीम गठित कर पूरे जिले में छोटे-बड़े सभी प्रतिष्ठानों पर छापेमारी अभियान चलाया जाएगा। सोमवार को डीएम की अध्यक्षता में एजेंसी संचालकों व पेट्रोलियम अधिकारियों की बैठक की जाएगी।
इनकी भी सुनिए
-मोतीगंज सिसवरिया निवासी अनूप ने बताया कि वह सात दिन से सिलेंडर के लिए चक्कर काट रहा है। मंगलम गैस एजेंसी का वह उपभोक्ता है। लेकिन उसे सिलेंडर नहीं मिल पाता है। जब तक वह वितरण स्थल पर पहुंचता है तब तक गैस खत्म हो जाता है।
-अनिल ने बताया कि गैस की बु¨कग कराए माह भर हो गया। उसका सिलेंडर भी खत्म हो गया। चूल्हे पर खाना बन रहा है। वह 12 दिनों से सिलेंडर के लिए दौड़ लगा रहा है। लेकिन अधिकारी उन लोगों की समस्या पर गंभीर नहीं है।
-शिवसहाय ने बताया कि दस दिन से वह सिलेंडर के लिए दौड़ लगा रहा है। लेकिन एजेंसी कर्मियों की मनमानी से उसे सिलेंडर नहीं मिल पाया। उसकी जेब से तीन सौ रुपए भाड़े भी खर्च हो चुके हैं।
-महादेवा निवासी जोखन ने बताया कि उसके लड़के की 30 अप्रैल को शादी है। घर में सिलेंडर भी खत्म हो चुका है। उसने सोचा रविवार को भीड़ नहीं रहेगी। इसलिए सिलेंडर लेने के लिए आया था। लेकिन उसे सिलेंडर नहीं मिल सका। अब वह बैरंग वापस लौट कर जा रहा है।
क्या कहते हैं एजेंसी संचालक
गोंडा : एजेंसी संचालक पेट्रोलियम अधिकारियों की मनमानी से का कहना है कि पर्याप्त लोड न मिलने से 23198 उपभोक्ताओं को रसोई गैस नहीं दी जा सकी है। जबकि इनकी बु¨कग किए एक माह से अधिक समय हो गया। यदि पेट्रोलियम अधिकारी ऐसे ही लोड बढ़ाकर देंगे तो लंबित उपभोक्ताओं को रसोई गैस मुहैया करा दी जाएगी।