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जीएम साहब, जनता मांगे मेमू

गोंडा: जीएम साहब यहां के लोग दो साल से मेमू की मांग कर रहे हैं। इसके लिए बनी लाइन पर बिजली दौड़ रही ह

By Edited By: Published: Mon, 16 Mar 2015 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2015 10:03 PM (IST)

गोंडा: जीएम साहब यहां के लोग दो साल से मेमू की मांग कर रहे हैं। इसके लिए बनी लाइन पर बिजली दौड़ रही है और रखरखाव के लिए अमला तैनात है। सीआरएस के बाद मालगाड़ी का संचालन हो रहा है। ऐसे में मेमू का न चलना आम जनता का सवाल उठाना लाजमी है।

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मंडल मुख्यालय से सुबह पौने दस बजे के बाद से शाम पांच बजे तक कोई ट्रेन लखनऊ के लिए नहीं है। कुछ एक्सप्रेस ट्रेन सप्तक्रान्ति, गरीब रथ समेत चार ट्रेनें यहां नहीं रूकती। इससे यहां के लोगों के लिए राजधानी की डगर बहुत कठिन है। दो साल पहले यहां पर मेमू के लिए बिजली की लाइन बिछनी शुरू हो गई।इसके बाद बीते साल बिजली लाइन को मुख्य संरक्षा आयुक्त ने निरीक्षण कर देखा और ट्रेन संचालन के लिए हरी झंडी दे दी। बाद में मालगाड़ी का संचालन का शुरू हो गया लेकिन यात्रियों के लिए मेमू नहीं चल पाई। रेलवे विभाग हर माह बिजली लाइन पर चालीस लाख रुपये खर्च कर रहा है लेकिन यात्री मेमू से वंचित हैं। लाइन के रखरखाव के लिए स्टाफ की तैनाती है और इन कर्मचारियों का रेलवे वेतन दे रहा है। गोंडा, जरवल व लखनऊ में इन कर्मचारियों के लिए आवास मुहैया कराया गया जिस पर लाखों रुपये खर्च हुए। यहां के व्यापारी, युवा, छात्र, अधिवक्ता व अन्य लोग राजधानी जाने के लिए मेमू चाह रहे हैं। इनकी मुराद इस साल पूरा नहीं हो पाई। इस बारे में कोई अधिकारी कुछ साफ नहीं बोल पा रहा है।

इनसेट

नहीं पूरा हो पाया बलरामपुर बड़ी लाइन का कार्य

गोंडा: गोंडा जंक्शन से बलरामपुर व तुलसीपुर तथा बढ़नी के लिए बड़ी लाइन का काम एक साल पहले शुरू हुआ जिसे मार्च 2015 तक पूरा किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। नतीजा लाखों यात्री जर्जर सड़क पर यात्रा करने को मजबूर हैँ। यहां से बलरामपुर तक लाइन बिछ गई लेकिन स्टेशन नहीं बन पाए। इसके अलावा स्टेशनों पर दोहरी लाइन अभी नहीं बन पाई है। इससे गोंडा से बढ़नी ट्रेन चलाने की गुंजाइश नहीं बन रही है। बलरामपुर से दिल्ली के लिए ट्रेन चलाने के लिए प्लेटफार्म तीन को ऊंचा करने की जरूरत है। यहां पर कोई प्रतीक्षालय नहीं है। इससे नई सेवा शुरू करने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नहीं मिली पिट लाइन

गोंडा : गोंडा जंक्शन गोरखपुर व लखनऊ के बीच सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन यहां पर पिट लाइन न होने से सवारी गाड़ी बनकर नहीं चल पाती है। इससे सवारी यात्री को चलाने मे समस्या हो रही है। इससे यहां पर इलाहाबाद से आने वाली सवारी गाड़ी को यहां पर नहीं बढ़ाया जा सका।

डायवर्जन ट्रायंगल नहीं

गोंडा: झिलाही स्टेशन से कटरा के बीच डायवर्जन ट्रायंगल न होने से मनकापुर में गाड़ियां का इंजन बदलना पड़ता है और इससे 45 मिनट का समय खराब होता है। इसके लिए अलग से कर्मचारी रखना पड़ता है। डायवर्जन ¨ट्रगल बनने से यात्रियों के साथ रेलवे को सुविधा मिलेगी।

यात्रियों को चाहिए ये सुविधाएं

गोंडा : यहां पर चिल्ड प्लान लगाया जाए जिससे स्टेशन पर ठंडा पानी यात्रियों को मुहैया हो सके। इसके आलावा यहां पर वाटर प्यूरीफायर प्लांट लगाया जाए जिससे गोंडा, बहराइच व बलरामपुर को रेल नीर की आपूर्ति की जा सके। यहां पर महिला प्रतीक्षालय नहीं है और दो नंबर प्लेटफार्म पर कोई प्रतीक्षालय ही नहीं है। इसकी छत जर्जर है तो बरसात में गिर सकती है। एसी वे¨टग रूम नहीं है जबकि यह सुविधा बस्ती स्टेशन पर है। स्टेशन पर एफओबी यानी फुटवेयर ओवर ब्रिज बनाया जाए जिससे यात्री सीधे स्टेशन बाहर जा सके। स्वचालित सीढ़ी नहीं है जिससे बीमार यात्रियों को सुविधा नहीं मिल पाती है। एक ही एटीएम है। एक एटीएम और चाहिए। साइकिल स्टैंड को हटाकर साइड में रखा जाए। सीसीटीवी की व्यवस्था कराई जाए। मजिस्ट्रेट कार्यालय का निकास उत्तर-दक्षिण होना चाहिए जिससे प्लेटफार्म पर जगह ज्यादा हो। सीतापुर गोंडा पैसेंजर को अयोध्या तक बढ़ाया जाए। एक दीवार घड़ी लगायी जाए और एक स्वागत द्वार लगाया जाए। बहराइच के लिए ट्रेन मालगोदाम से चलायी जाए। व्हील चेयर के लिए स्बवे बनाया जाए जिससे निशक्तजन प्लेटफार्म दो पर पहुंच सके।

कालोनी वासियों का दर्द सुना जाएगोंडा: रेलवे कालोनी के क्वार्टर के दरवाजे व खिड़की जर्जर है। इससे यहां पर रहने वाले 4500 परिवार परेशान हैं। यहां पर सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। नाले चोक है और जंगली घासों में मच्छरों की भरमार है। यहां की सड़कें जर्जर हैं और एक दर्जन रेलवे मकान अवैध कब्जे के गिरफ्त में हैं। कर्मचारियों का टोटा गोंडा: गोंडा जंक्शन पर कर्मचारियों का टोटा है। यहां पर 120 कर्मचारी होने चाहिए और मौके पर 55 कर्मचारी ही कार्यरत है। इससे यहां की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। यहां पर पीएम मोदी का सफाई अभियान को चलाने के लिए अधिकारी गंभीर नहीं हैं। यहां पर प्राइवेट कर्मचारी रखने की व्यवस्था नहीं हो पाई है।


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