जल संरक्षण: जीवनदायिनी के लिए भगीरथ बन गई आधी आबादी
गोंडा: हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ चल पड़ेंगे कारवां हो जाएगा ! कुछ इसी अंदाज मे
गोंडा: हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ चल पड़ेंगे कारवां हो जाएगा ! कुछ इसी अंदाज में एक समाजसेवी ने जीवनदायिनी नदियों के उद्धार का बीड़ा दो वर्ष पूर्व उठाया था, इसके बाद वक्त क्या बदला नजारा ही बदल गया। एक शमां क्या जली परिवर्तन की बयार ही बहने लगी। नदियों के सफाई अभियान में एक दो नहीं, सौ से अधिक महिलाएं सफाई अभियान में शामिल हो गईं। नदियों के अस्तित्व वापस लौटाने की कसम कोई और नहीं बल्कि शहर की समाजसेवी व अधिवक्ता रुचि मोदी ने उठाया है। जल संरक्षण के साथ ही नदियों के खोये हुए गौरव को वापस लाने के लिए ये अभियान नवरात्र के महीने से शुरू होता है। पेश है एक रिपोर्ट:
इनसेट
मिशन क्लीन का कुछ यूं शुरू हुआ कारवां
-शहर के महारानीगंज मोहल्ले में रहने वाली समाजसेवी रुचि मोदी पेशे से तो अधिवक्ता हैं, लेकिन पैसे के लिए वकालत नहीं बल्कि उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को न्याय दिलाना भी उनकी पहली प्राथमिकता है। अधिवक्ता रुचि मोदी बताती हैं कि वर्ष 2012 शारदीय नवरात्र के बाद वह खैरा भवानी मंदिर गई थीं। यहां नदियों में प्रतिमाओं को मूर्ति विसर्जन किया गया था, जिससे तट के किनारे नदी का अस्तित्व खत्म होता दिखाई दिया। रुचि मोदी बताती हैं कि प्रतिमा तैयार करने में प्रयोग किए गए केमिकल से नदियों में पल रही मछलियों की भी मौत हो गई थी, बस यही वह दृश्य था जिसने नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए अभियान चलाने पर मजबूर कर दिया। रुचि मोदी बताती हैं कि तट पर साफ-सफाई के बाद 2013 में अयोध्या में सरयू नदी की साफ-सफाई में भी हिस्सा ले चुकी हैं। वक्त के साथ ही जल संरक्षण के साथ ही नदियों का गौरव लौटाने के लिए अरमान मजबूत होते गए। रुचि मोदी ने नदियों की साफ-सफाई के लिए मोहल्ले की महिलाओं में भी जनचेतना जगाई। फिर क्या था, करत-करत अभ्यास ते जड़मत होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान की तर्ज पर महिलाओं का कारवां बढ़ता चला गया। 26 अक्टूबर 2014 को समाजसेवी रुचि मोदी की अगुवाई में सैकड़ों महिलाओं ने बालपुर स्थित टेढ़ी नदी की साफ-सफाई में हिस्सा लिया, ये सफर यूं ही कम नहीं हुआ खैरा भवानी मंदिर के साथ ही अन्य स्थलों के सरोवरों को संवारने का अभियान चल रहा है। रुचि मोदी कहती हैं कि ¨जदगी का मकसद अपने लिए नहीं बल्कि गैरों के लिए जीना होना चाहिए। इस अभियान में मोहल्ले में रहने वाली सुशीला, कुसमी, ऊषा, गुड़िया, जामवंती, जावित्री सहित कई महिलायें शामिल हो गई हैं।