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अब मनरेगा में भी फंसा स्वास्थ्य विभाग

गोंडा: अभी एनआएचएम घोटाले की जांच चल ही रही थी कि अब मनरेगा घोटाले ने भी स्वास्थ्य विभाग की मुसीबत क

By Edited By: Published: Sat, 24 Jan 2015 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jan 2015 11:15 PM (IST)
अब मनरेगा में भी फंसा स्वास्थ्य विभाग

गोंडा: अभी एनआएचएम घोटाले की जांच चल ही रही थी कि अब मनरेगा घोटाले ने भी स्वास्थ्य विभाग की मुसीबत को बढ़ा दिया है। वर्ष 2008 में मजदूरों को कार्यस्थल पर ही चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जिले के 1054 ग्राम पंचायतों में आपूर्ति की गई 90 लाख रुपये की फ‌र्स्ट एड बाक्स को लेकर सीबीआइ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर शिकंजा कस दिया है। सीबीआइ ने उस वक्त जिले में तैनात सीएमओ, एसएमओ स्टेार व चीफ फार्मेसिस्ट का ब्यौरा तलब किया है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है।

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जिले में मनरेगा में हुए घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है। सीबीआइ टीम अब तक विकास भवन के साथ ही ग्राम पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों में मनरेगा से हुए विकास कार्यों के अभिलेख खंगालने के साथ ही गांवों तक की खाक छाननी शुरू कर दी है। सीबीआइ टीम अब कार्यस्थल पर मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध कराये जाने वाले फ‌र्स्ट एड बॉक्स के बारे में जानकारी करनी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो गांवों में कार्य करने वाले मजदूरों को कार्यस्थल पर कोई दिक्कत न हो, इसके लिए विभाग ने वर्ष 2008 में उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड लखनऊ से खरीदारी की। प्रति किट की दर 7640 रुपए थी। इसकी खरीद में नियमों की अनदेखी का भी सवाल उठते रहे हैं। अब सीबीआइ ने फ‌र्स्ट एड बॉक्स की आपूर्ति के बाद उसके सैंपल का सत्यापन करने वाले अफसरों पर शिकंजा कस दिया है। सीबीआइ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उस वक्त का पूरा विवरण तलब किया है। साथ ही तैनात रहे अधिकारियों व कर्मियों के बारे में जानकारी मांगी है। जिसमें विभाग ने उस वक्त जिले में तैनात रहे पूर्व सीएमओ, तत्कालीन एसएमओ स्टोर व चीफ फार्मेसिस्ट का विवरण सीबीआइ को भेजा है। जिसको लेकर खलबली मची हुई है। सीएमओ डॉ. राकेश अग्रवाल का कहना है कि सीबीआइ ने जो जानकारी मांगी थी, उसे उपलब्ध करा दिया गया है।

क्या था फ‌र्स्ट एड बॉक्स

- मनरेगा से गांवों में काम करते वक्त जाबकार्ड धारकों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए विभाग ने वर्ष 2008 में सभी 1054 गांवों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ से क्रय किए थे। 7640 रुपए प्रति किट में बीस गेज के स्टील शीट से बने बाक्स के सहित 42 आपूर्ति की जानी थी। इसके लिए आपूर्ति करने वाली संस्था को दो बार में 90 लाख 59 हजार 130 रुपए का भुगतान किया गया।

पूर्व में हुई जांच में मिली थी यह खामियां

- फ‌र्स्ट एंड बॉक्स की खरीद में बिना निविदा प्रक्रिया का पालन कराते हुए भुगतान कर दिया गया।

- फ‌र्स्ट एड बॉक्स को खंड विकास अधिकारियों को उपलब्ध कराने के बजाय अन्य कर्मियों को उपलब्ध करा दिया गया।

- फ‌र्स्ट एड बॉक्स में किन किन आइटमों की आपूर्ति की गई, इसकी जानकारी आपूर्ति लेने वाले कर्मियों को नहीं थी।

- भुगतान के लिए पारित किये गये बिल पर मुख्य विकास अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर भी नहीं किया गया था।

- बॉक्स की आपूर्ति में एक और संस्था का नाम आया, जिसको आदेश ही नहीं था।


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