'सरकार हर गांव में बनाए अखाड़ा'
गोंडा: देश में कुश्ती का भविष्य काफी उज्जवल है। नयी-नयी प्रतिभाएं आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ
गोंडा: देश में कुश्ती का भविष्य काफी उज्जवल है। नयी-नयी प्रतिभाएं आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पहलवानों को कड़ी चुनौती माना जाने लगा है। वर्ष 2016 में ब्राजील के ओलंपिक में कई पदकों की उम्मीद कुश्ती से है।
यह बात राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में 13 बार स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड बनाने वाले हरियाणा के अर्जुन पुरस्कार विजेता पहलवान रवींद्र ढेला ने दैनिक जागरण से हुई खास बातचीत में कहीं। वह गोंडा स्थित नंदनीनगर में आयोजित राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेन आए थे। उन्होंने कहा कि देश में अब कुश्ती व पहलवान पहले की तरह अंजान नहीं रह गए हैं। विज्ञापन करते हुए पहलवानों को देखकर बड़ा सुख मिलता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली कामयाबी ने उसकी तस्वीर बदल दी है। अब पहलवान भी ग्लैमर से अछूते नहीं हैं। कुश्ती में बदलाव के सवाल पर रवींद्र ने कहा कि सब कुछ बदल गया है। पहले सब कुछ व्यक्तिगत प्रयास पर निर्भर था, आज कुश्ती संघ काफी ताकतवर है। भारत सरकार भी कुश्ती और पहलवानों का पूरा ख्याल रख रही है। इसी का नतीजा है कि लड़के व लड़कियां भी पदक ला रहे हैं।
ओलंपिक की तैयारी के विषय में पूछे जाने पर रवींद्र ने कहा कि कुश्ती संघ व भारत सरकार दोनों गंभीरता से लगे हैं, राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में कामयाबी से पहलवानों का भी हौसला बुलंद है। उनके पास ज्यादा अंतरराष्ट्रीय अनुभव है। हम हर भार वर्ग में एक पदक जरूर लाने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं।
कुश्ती को और बेहतर करने के विषय में पूछने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गांव स्तर पर अखाड़ों की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे नई प्रतिभाएं निकलकर सामने आएंगी।