बच्चों पर रखें नजर, न जाएं इधर-उधर
गोंडा : बच्चों की गुमशुदगी के बाद भले ही परिवारीजन थानों से लेकर अफसरों तक का चक्कर काटते हों, बावजू
गोंडा : बच्चों की गुमशुदगी के बाद भले ही परिवारीजन थानों से लेकर अफसरों तक का चक्कर काटते हों, बावजूद इसके अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर नजर रखने की जिम्मेदारी है। तभी उनके गुम होने की संभावनाएं कम हो सकती है। बच्चों के गुम होने के पीछे पारिवारिक कारण एवं परिस्थितियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। पेश है एक रिपोर्ट।
माता-पिता में लड़ाई
-पिता का शराब पीकर मारपीट करना
-बच्चों को मात-पिता द्वारा अपने से दूर रखना
-मानसिक रूप से परेशान होने पर, कोई भी व्यक्ति को बच्चे को फुसला सकता है
-रिश्तेदारों पर बच्चों को आश्रित करने पर
-घर में बच्चों के साथ हिंसा या किसी भी प्रकार का यौनिक या लैंगिक शोषण होने पर
-परीक्षा में असफल होने पर या माता-पिता द्वारा अन्य बच्चों के साथ बराबरी की तुलना करने से अपमानित अनुभव करने पर
-बच्चा स्वयं को परिवार से बहिष्कृत समझता है
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
- लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय की मनोविज्ञान प्रवक्ता डॉ. ममता शुक्ला ने बताया कि गुमशुदगी के मामले को रोकने के लिए प्रत्येक बच्चे को अपना नाम, माता-पिता का नाम, घर का पता व मोबाइल नंबर की जानकारी अवश्य देनी चाहिए। बच्चे को बाहर ले जाने से पहले माता-पिता या संरक्षक को जरूर सूचना दें। अंजान व्यक्ति की गाड़ी में न बैठे। प्रलोभन दिए जाने पर बच्चे को बाहर प्रदेश में मजदूरी व अन्य कार्यो के लिए नहीं भेजना चाहिए।
माता-पिता रखे ध्यान
- बाल अधिकारों के मुद्दे पर काम करने वाली स्पेस संस्था के सचिव संजय कुमार पांडेय ने बताया कि ज्यादातर बच्चे पारिवारिक दुर्व्यवहार की वजह से घर से भाग खड़े होते हैं। इसलिए माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए। बच्चे के फोटो व पहचान चिन्हों की जानकारी अपने पास सुरक्षित रखे। बच्चे की रोजाना गतिविधियों की जानकारी रखें। वह कहां जाता है, किस से मिलता है। बच्चे के दोस्तों, उनके माता-पिता की जानकारी रखें कि वह क्या करते हैं। बच्चों को नौकर, पड़ोसी या जान पहचान के लोगों के साथ बाहर भेजे तो सावधान रहे।