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डॉगी हैं राजी मगर इंतजाम सिर्फ 'कागजी'

By Edited By: Published: Thu, 25 Sep 2014 11:48 PM (IST)Updated: Thu, 25 Sep 2014 11:48 PM (IST)
डॉगी हैं राजी मगर इंतजाम सिर्फ 'कागजी'

गोंडा:डॉगी से सावधान! शहर की सड़कों, मुहल्लों की गलियों पर हर जगह खतरा है। दिन पर दिन इनकी समस्या बढ़ती जा रही है। आंकड़े भी भयावहता की ओर इशारा कर रहे हैं। इस साल जनवरी से 25 सितंबर तक अकेले जिला अस्पताल में कुत्ता, बिल्ली व बंदर के काटने से 9520 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवा चुके हैं। यही नहीं जिले के सोलह सीएचसी में भी करीब 300 मरीज हर माह एंटी रैबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। उधर, दूसरी तरफ इस समस्या से निजात पाने के लिए कागजों पर इंतजाम हैं मगर जिम्मेदारों को इसकी सही ढंग से जानकारी तक नहीं है। जिन्हें है, उनके पास बहानों का अच्छा शब्दकोष भी है। शहर में घूम रहे अवारा कुत्तों की नसबंदी कराने के सवाल पर नगर पालिका अध्यक्ष निर्मल श्रीवास्तव कहते हैं कि उन्हें तो इसकी कोई जानकारी ही नहीं है। अगर ऐसी व्यवस्था है, तो पता करायेंगे। जो भी हो सकता है, किया जायेगा।

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शहर में पंद्रह सौ कुत्ते

शहर में आवारा कुत्तों की भरमार है। पालतू कुत्तों को छोड़ दिया जाए तो अनुमान के मुताबिक शहर के 27 वार्डो में करीब एक हजार पांच सौ कुत्ते हैं। बंदरों की फौज करीब दो हजार होगी। यह अक्सर लोगों को काटते हैं। कचहरी परिसर तो बंदरों को गढ़ है। कचहरी बंद होने के बाद यहां पर रहने वाले बंदर आसपास के गांवों की ओर रुख कर देते हैं। एक साथ सैकड़ों की तादाद में चलने वाले बंदर लोगों की परेशानी का कारण बन जाते हैं।

इनसेट

कागजी इंतजाम

बंदरों को पकड़ने के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठन के साथ ही हर ब्लाक व नगर स्तर पर टीम है। बावजूद इसके कहीं पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ने के सावल पर एसडीओ वन गोपाल ओझा का कहना है कि टीमें गठित है, जब कहीं से कोई सूचना आती है, तो उस पर कार्रवाई की जाती है। अभियान चलाने के सवाल पर उनका कहना था कि इस संबंध में जब कोई आदेश आयेगा, तब देखा जायेगा।

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इनका रखें ध्यान

- जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. टीपी जायसवाल का कहना है कि अगर आपको किसी कुत्ते, बिल्ली या बंदर ने काट लिया है तो 15 मिनट तक साबुन या पानी से धुलें। घाव पर मिर्चा, मिट्टी का तेल, चूना, नीम, पत्ती व एसिड न लगायें। घाव को धोने के बाद उस पर कोई एंटी सेप्टिक क्रीम लगायें। घाव को खुला छोड़ दें। खून ज्यादा निकलने की दशा में उस पर पट्टी बांधें। यही नहीं तत्काल चिकित्सक से संपर्क करके वैक्सीन लगवायें।


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