रात की ठंड में सिंचाई को किसान विवश
केस एक : सदर ब्लाक के रसूलपुर के मराछू यादव रात के पहर खेत की सिंचाई करने का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्हें सर्दी-जुकाम ने जकड़ लिया है। इसकी वजह से खेती के दूसरे काम रुक गए हैं।
केस दो : सुहवल के हमीद राइनी मिर्च, आलू की खेती किए हैं। बिजली रात के पहर आती है। मजबूरी है कि उन्हें दूसरे के निजी नलकूप से रात के वक्त फसलों की सिंचाई करनी पड़ रही है।
गाजीपुर : यह दो किसानों के अनुभव हैं। हकीकत यह है कि यहां के चार लाख किसान परिवार यही दुश्वारी झेल रहे हैं। ठंडी और कुहासे की रात में खुले आसमान के नीचे सिंचाई करना वाकई उनके लिए दुखदाई है पर करें तो क्या। बिजली रात के समय ही मिल रही है।
रात में नलकूप से सिंचाई सेहत पर असर डाल रही है। सिंचाई के वक्त वह चाह कर भी गर्म कपड़े और जूते नहीं पहन पाते। गीली मिंट्टी में उनको नंगे पांव काम करना पड़ता है। नाली टूट गई या पाइप फट गई। उसे दुरुस्त करने का काम भी उन्हें करना पड़ता है। रबी सत्र में खेत में छोटी क्यारियां बनती हैं। हर क्यारी को भरना पड़ता है। इसके लिए उनको घंटों ठिठुरते गुजारना पड़ता है। अंधेरे में पानी की बर्बादी भी होती है। पता चलता है कि दूसरे के खेत में पानी बह गया। ऐसे में गरीब किसान को लेने के देने पड़ जाते हैं। 50 रुपये प्रति घंटे की दर से नलकूप संचालक सिंचाई करते हैं। बहरहाल अभी तो ठंड की शुरुआत है। ज्यादा ठंड पड़ने पर क्या गति होगी। इसकी सहज कल्पना से किसान कांप जा रहे हैं। कोई साल ऐसा नहीं जाता जब सिंचाई के बाद ठंड से किसान दम नहीं तोड़ते।
सरकार का निर्देश दस घंटे बिजली देने का है लेकिन विभाग इसे दिन-रात में बांट दिया है। विभाग के अधीक्षण अभियंता विष्णु मालवीय ने भी कहा कि किसानों का यह दर्द उनके संज्ञान में है लेकिन ऊपर के निर्देश की वजह से विभागीयकर्मी मजबूर हैं। इसके लिए उन्होंने दो शिफ्ट में बिजली देने की सिफारिश की थी लेकिन इसके लिए नियंत्रण कक्ष से कोई जवाब नहीं आया।
चिकित्सकीय सलाह
अधेड़ अंवस्था में ठंडी रात में पानी से परहेज करना ही ठीक है। रक्तचाप पीड़ित किसानों को रात में सिंचाई करने की स्थिति में उनकी हृदय गति रुकने का खतरा बना रहता है। अच्छा तो यह कि नौजवान ही यह काम करे। -एके मिश्र, वरिष्ठ फिजीशियन, सदर अस्पताल
ठंड के मौसम में रात को सिंचाई मजबूरी है तो बचाव के लिए अलाव का इंतजाम जरूर करें। कोशिश हो कि पानी में पांव कम रहें। पानी से निकलने के बाद ही ठंड मारने का खतरा रहता है। ऊपर गर्म कपड़े पहनें। कोई किसान अकेले सिंचाई न करे। रोशनी का प्रबंध जरूर रखें। -डॉ.पीके सिंह, डिप्टी सीएमओ।
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