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राम कथा आत्मसात किए बिना मानव जीवन सार्थक नहीं

करीमुद्दीनपुर (गाजीपुर) : लठठूडीह-दुबिहामोड़ पर सद्भावना मंच की ओर से चल रहे सात दिवसीय रामकथा के

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 06:21 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 06:21 PM (IST)
राम कथा आत्मसात किए बिना मानव जीवन सार्थक नहीं
राम कथा आत्मसात किए बिना मानव जीवन सार्थक नहीं

करीमुद्दीनपुर (गाजीपुर) : लठठूडीह-दुबिहामोड़ पर सद्भावना मंच की ओर से चल रहे सात दिवसीय रामकथा के चौथे दिन मंगलवार की शाम कथावाचक महामंडलेश्वर प्रेमशंकर दास ने कहा कि राम कथा आत्मसात किए बिना मानव जीवन सार्थक नहीं हो सकता है। राम कथा मानव जीवन के उद्देश्यों को पूरा करता है। अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए रामकथा उपकरण के समान है। हम चाहे जिस मत, सम्प्रदाय के हों भगवान राम के चरित्र के लिए किसी को मनाही नहीं है। राम कथा संपूर्ण सामाजिकता का विश्वकोष है। प्रलोभनों की ज्वाला में मानवता का ह्रास होता जा रहा है। जैसे मानवता के पूर्णता के लिए आध्यात्म की आवश्यकता है वैसे वाणी शुद्धि के लिए व्याकरण अति आवश्यक है। ठीक उसी प्रकार जीवन शुद्धि के लिए रामकथा आवश्यक है। राम कथा मनोरंजन का साधन नहीं है अपितु आत्म रंजन का साधन है। इस मौके पर पुरुषोत्तम गुप्ता, सुभाष कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, प्रताप मिश्रा, शिबू मिश्रा, ओमप्रकाश कुशवाहा, विनोद गुप्ता, राजेंद्र यादव, अशोक गुप्ता आदि मौजूद थे। संचालन भोला राय ने किया।


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