एक चांद आसमां पर तो अनगिन यहां
गाजीपुर: एक चांद आसमां पर था तो जमीं पर अनगिनत थी इनकी संख्या। करवाचौथ पर सोलह श्रृंगार कर सजीं सुहा
गाजीपुर: एक चांद आसमां पर था तो जमीं पर अनगिनत थी इनकी संख्या। करवाचौथ पर सोलह श्रृंगार कर सजीं सुहागिनों को देख जैसे आसमां का चांद शरमा रहा था। ऐसे में जब चलनी के ओट से चांद के दीदार के बाद पति का दर्शन हुआ तो फिजा में पावन प्रेम की खुशबू बिखर गई। पति ने पानी पिलाकर व्रत तोड़वाया तो तपस्या के पूरे होने का सुखद अहसास हुआ।
यूं तो इस पर्व को पहले से ही मनाए जाने की जिले में परंपरा रही है लेकिन हाल के वर्षों में इसका दायरा और स्वरूप बेहद तेज रफ्तार से बढ़ा है। सोशल साइड के बढ़ते प्रभाव और टीवी पर इसका भव्य स्वरूप लोगों के आकर्षण का कारण है। यही वजह है कि व्रत में बदलाव के लक्षण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। बहरहाल, अखंड सौभाग्यवती के पावन त्योहार करवाचौथ का व्रत बेहद कठिन माना जाता है। पूरे दिन बगैर अन्न-जल के रहकर पतियों की दीर्घायु की कामना के साथ महिलाएं चांद का इंतजार करती रहीं। जैसे ही चांद दिखा पूजन-अर्चन के साथ महिलाओं ने पतिदेव के दर्शन किए। पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ने के साथ ही घर-परिवार में बड़ बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया।
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चलता रहा पूजन-अर्चन
भले ही रात में चांद के दीदार से इस व्रत का समापन होता है लेकिन पूरे दिन पूजन-अर्चन का दौर चलता रहा। घर की बड़ी महिलाएं जहां दिन में ही सामान्य तरीके से मंदिरों में मत्था टेक पतियों के दीर्घायु की कामना की वहीं हाल की आई महिलाओं ने सजने-संवरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा।