हर पल बढ़ता जा रहा है खतरा
सैदपुर (गाजीपुर) : गोमती नदी में बढ़ाव से तेतारपुर व गौरहट गांव के लोग पानी में ¨जदगानी बिता रहे हैं
सैदपुर (गाजीपुर) : गोमती नदी में बढ़ाव से तेतारपुर व गौरहट गांव के लोग पानी में ¨जदगानी बिता रहे हैं। धीमी गति से नदी के जलस्तर में हो रहे बढ़ाव से हर पल खतरा बढ़ता जा रहा है। बाढ़ में तेतारपुर व गौरहट गांव चारों तरफ से घिर चुका है। सभी संपर्क मार्ग डूब जाने से गांवों में जाने का एक मात्र साधन नाव ही है। हालांकि शासन, जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों द्वारा पर्याप्त नाव की व्यवस्था की गई है लेकिन जनजीवन अस्त-व्यस्त है। गौरी गांव ऊंचाई पर होने के कारण बचा है। इस गांव में स्थित पशु चिकित्सालय ही डूबा है लेकिन तेतारपुर व गौरहट गांव में स्थित सभी मंदिर, नलकूप, निजी कंपनियों के टावर सहित सैकड़ों मकान डूब चुके हैं। तेतारपुर गांव स्थित मां दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर सभी डूब गए हैं। निजी कंपनियों का टावर डूब जाने से नेटवर्क गायब है। इससे मोबाइल फोन डिब्बा बनकर रह गए हैं। दोनों गांवों में स्थित तीन नलकूप भी डूब गए हैं। गौरहट गांव में 80 मकान, तेतारपुर में 150 मकान डूब गए हैं। ऐसे में बाढ़ से घिरे परिवारों के समक्ष भोजन, पानी, शौच आदि की समस्या उत्पन्न हो गई है। सभी हैंडपंप बाढ़ में डूब जाने से पेयजल की भी किल्लत उत्पन्न हो गई है। जिन घरों में शौचालय नहीं है ऐसे लोगों को नाव से अन्यत्र जाना पड़ रहा है। गरीब परिवारों के लिए तो परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है।
10 किमी में फैला बाढ़ का पानी
तेतारपुर से गौरहट गांव की दूरी करीब पांच किमी है। गोमती नदी का पानी यहां करीब 10 किमी में फैल गया है। सभी संपर्क मार्ग, प्राथमिक विद्यालय भी डूब गए हैं। ऊंचाई पर स्थित कुछ मकान बचे हैं। यदि पानी पांच फीट और बढ़ा तो वे भी डूब जाएंगे। ऊंचाई पर स्थित जो मकान बाढ़ से अब तक बचे हैं। वहां पशुओं के लिए चारे की समस्या है। परिवार के युवक नदी में तैरकर या नाव से जा रहे हैं और चरी काटकर या भूसा ले आ रहे हैं। तब पशुओं की भूख मिट रही है।
डूब चुके हैं दर्जनों गांव
बारा : गंगा व कर्मनाशा नदी के
समीपवर्ती इलाके के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं। इसमें बारा, कुतुबपुर, मठिया - मगरखाई, भतौरा, नोनीया पुरा, हरकरनपुर , सायर - राजमल बांध, मनीहर वन, देवल, अमौरा, खुदरा , गदाईपुर , अठहठा , हसनपुरा , नसीरपुर सहित लगभग 20 गांव शामिल
है। झोपड़ीनुमा घर वाले लोग पलायन कर गए हैं।