कर्मनाशा भी उफान पर, ढाह रही कहर
बारा (गाजीपुर): गंगा के साथ कर्मनाशा में आई बाढ़ भी लोगों के लिए काल बनी हुई है। क्षेत्र में बाढ़
बारा (गाजीपुर): गंगा के साथ कर्मनाशा में आई बाढ़ भी लोगों के लिए काल बनी हुई है। क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए की गई प्रशासनिक व्यवस्था नाकाफी सिद्ध हो रही है। वहीं जनप्रतिनिधि महज कागजी घोड़ा दौड़ा रहे हैं। बारा के अधिकांश इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। जानकारों की माने तो 1994 के बाद गंगा ने क्षेत्र में इतना प्रलयकारी रुख अख्तियार किया है। गंगा के जलस्तर में बेतहाशा वृद्धि से सहायक नदी कर्मनाशा भी पूरी उफान पर है। बाढ़ कि विभीषिका से कुतुबपुर, मठिया, मगरखाई, भतौरा, नोनियापुरा, सायर व राजमल बांध पूरी तरह पानी से घिर चुका है। इनका संपर्क अन्य गांवों से टूट चुका है। वहीं बारा के रकबा, सतहवा, कोट, पकवा व अबुसालेह खां का डेरा, छोटी पानी टंकी समेत अन्य मोहल्लों के चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है।
जहरीले व ¨हसक जीवों बने मुसीबत
बारा : बाढ़ पीड़ितों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। एक तो बाढ़ का पानी ऊपर से जहरीले जीव-जंतुओं का प्रकोप अलग से। मैदानों एवं झाड़ियों में पानी भर जाने से जंगली सूअर एवं सांप-बिच्छू घरों में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसे लेकर लोगों में और दहशत है।
प्रशासनिक व्यवस्था नाकाफी
बारा : प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गई व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। भतौरा ग्राम प्रधान विजय यादव, ताहर यादव, कुतुबपुर प्रधान सुनील भारती, जय प्रकाश राय, सोनू राय, राहुल राय मगरखाई प्रधान प्रतिनिधि बृजेश कुमार, ॠकदेव यादव सायर के अशोक यादव ने बताया कि भतौरा में पांच, कुतुबपुर में दो मगरखाई में दो और राजमल बांध में चार नावों के सहारे राहत कार्य चलाया जा रहा है। जबकि सायर में एक भी नाव नहीं होने से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। मंगलवार को राजमल बांध से एक नाव सायर के लिए उपलब्ध कराई गई।
बाढ़ से आसान हुई पशु तस्करी
बारा: कर्मनाशा नदी में उफान के बावजूद इसके रास्ते पशु तस्करी का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश का अंतिम छोर व बिहार सीमा पर बसे बारा गांव से महज तीन किमी के फासले पर बिहार प्रांत के यादव मोड़ पर स्थित पशु हाट है। अब जबकि गंगा व कर्मनाशा के बाढ़ के पानी से सड़क मार्ग बाधित है। वहीं कर्मनाशा के दूसरे छोर पर भी बाढ़ का पानी पशु हाट के पास पहुंच गया है। इसका लाभ पशु तस्कर उठा रहे हैं। कर्मनाशा में नाव के सहारे आसानी से पशुओं को हाट तक पहुंचाया जा रहा है। वहां से ट्रक के जरिए पशुओं को बंगाल भेज रहे हैं ।
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि कर्मनाशा के इस तरफ रिपोर्टिंग पुलिस चौकी है तो उस तऱफ मुफस्सील थाना बक्सर। एक तरफ पुलिसकर्मियों के सामने पशुओं को नावों में भरा जाता है तो दूसरी तरफ नाव से उतारा जाता है लेकिन स्थानीय पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है और न ही बिहार पुलिस। सूत्रों की माने तो दोनों तरफ के पुलिसकर्मियों से पशु तस्कर पहले से ही सांठगांठ किए रहते हैं।