विश्वामित्र से जुड़ा पोखरा, फिर होगा पुनर्जीवित
करंडा (गाजीपुर) : क्षेत्र के मानिकपुर कलां में हरियानंद बाबा के ऐतिहासिक पोखरा पर विश्वामित्र ने तपस
करंडा (गाजीपुर) : क्षेत्र के मानिकपुर कलां में हरियानंद बाबा के ऐतिहासिक पोखरा पर विश्वामित्र ने तपस्या की थी। इस पोखरा पर शुक्रवार को समाजसेवी संस्थाएं एवं ग्राम प्रधान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने श्रमदान किया। मानिकपुर कलां स्थित हरियानंद बाबा धाम सात एकड़ में फैला है। इसी में 2 एकड़ पोखरा है और बाकी हिस्से में खेती का कार्य होता है। कई सौ वर्ष पहले राजा गाधि के पुत्र विश्वामित्र ने इसी ऐतिहासिक पोखरा के किनारे तपस्या की थी। यहां मेनका नामक अप्सरा ने इनकी तपस्या भंग कर दिया था। यह ऐतिहासिक पोखरा उपेक्षा का शिकार हो चुका है। मगर दैनिक जागरण ने इसे गोद लेकर पुनर्जीवित करने की पहल कर दी है।
समग्र विकास इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं समाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दूबे को भी किसी ने फोन से सूचित किया तो वह भी अपनी टीम के साथ इस ऐतिहासिक पोखरे की खोदाई मे जुट गए। ब्रजभूषण दूबे
ने कहा कि दैनिक जागरण ने एक नेक कार्य की शुरूआत की है। अब इसे आंदोलन बना देने की जरूरत है। पोखरे और तालाब हमारे धर्म और आस्था से जुडी हुई चीज है। पूर्व के समय में लोग पोखरे की खोदाई और उसमें जल भराव को यज्ञ के समान मानते थे। मगर आज प्रशासनिक उपेक्षा के चलते लोग पोखरे को पाटकर अपना आशियाना बना रहे है जो कि उचित नहीं है। पोखरे हमारे जलस्तर को बराबर सही रखते थे। मगर अब पोखरों के सूख जाने की वजह से जलस्तर में कमी आ गई। यदि हम लोग पोखरों की उपयोगिता को नहीं समझेंगे तो बुंदेलखंड की तरह एक-एक बूंद को तरसेगें। ग्राम प्रधान रामदास यादव ने कहा कि जागरण की मुहिम को हम आगे बढाएंगे और हरियानन्द बाबा धाम के ऐतिहासिक पोखरे को माडल बनायेंगे। सबसे पहले
मंदिर के बगल में स्थित कुएं में एक सबमर्सिबल पंप डालकर पोखरा में पानी भरने की व्यवस्था की जाएगी जो हमेशा के लिए रहेगा। समाजसेवी उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस ऐतिहासिक पोखरे को माडल पोखरा बनाने में हर संभव प्रयास किया जाएगा। इस मौके पर संजीव ¨सह, सोनू ¨सह,मनोज तिवारी, श्रवण यादव, ओमप्रकाश ¨सह, ममता देवी, मीरा, शांति, मीना, सीमा, रीता,सोनमती, सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।