बदमाश के बदले सिपाही को ही पिटने लगी भीड़
गाजीपुर : शायद इसी को कहते हैं भीड़ तंत्र। बदमाश को छुआ तक नहीं और सिपाही की जमकर कर दी पिटाई अगर
गाजीपुर : शायद इसी को कहते हैं भीड़ तंत्र। बदमाश को छुआ तक नहीं और सिपाही की जमकर कर दी पिटाई अगर वे थोड़ी से मदद करते तो शायद दो हमलावर पकड़े जाते। हत्यारोपी चंदन ¨सह को गोली मारने वाले एक बदमाश को सिपाही सुरेश प्रताप ने पकड़ा तो वहां मौजूद भीड़ बदमाश को नहीं बल्कि सिपाही को ही पीटने लगी। एक तरफ सिपाही बदमाश को जकड़ा था तो दूसरी ओर भीड़ उस पर हमलावर थी। भीड़ की दलील थी कि असलहा होने के बाद भी वह क्यों नहीं फायर किया। भीड़ द्वारा पीटे जाने से सिपाही के हाथ से बदमाश छूट गया और वह पैदल ही नावापुरा स्थित साईं मंदिर की ओर भाग निकले। अगर वहीं मौजूद लोग सिपाही की मदद करते तो शायद दोनों बदमाशों को मौके से ही पकड़ लिया गया होता। यहीं नहीं मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक से भी अधिवक्ता उल्टे भिड़ गए। वे पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हालांकि वहां मौजूद पुलिसकर्मी अधिवक्ताओं के गुस्से को भांपते हुए पुलिस अधीक्षक को भीड़ से किसी तरह निकाला।
आधे घंटे तक कांपता रहा सिपाही
भीड़ की चंगुल से छूटने के बाद सिपाही सुरेश प्रताप तमंचा लेकर सीधे पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। सिपाही को देख मीडिया कर्मी भी पहुंच गए। मीडियाकर्मियों ने घटना के बाबत जानकारी चाही तो सिपाही कांपने लगा। सिपाही का कहना था कि अगर आज भीड़ नहीं होती तो बदमाश को वह कभी नहीं छोड़ता।
क्राइम ब्रांच की टीम ने की जांच-पड़ताल
बंदी चंदन ¨सह को गोली मारने की जानकारी होने पर क्राइम ब्रांच की टीम जिला अस्पताल पहुंची। यहां घायल बंदी से पूछताछ के बाद हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए रवाना हो गई।
युवकों को आरोपी कहने पर हंगामा
कोर्ट परिसर में किसी काम से गए सिकंदरपुर निवासी पंकज राय व आंसू ¨सह जैसे ही बदमाशों द्वारा बंदी को गोली मारने की घटना देखे तो वे ईट-पत्थर चलाने के साथ ही उनकों पकड़ने की कोशिश किए। हालांकि उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी। उसी दौरान किसी अधिवक्ता ने दोनों ही युवकों को बंदी को गोली मरवाने का आरोप लगा दिया। इसके बाद क्या था, शुरू हुआ हंगामा। हालांकि वहां मौजूद पुलिस दोनों पक्षों को समझाबुझा कर किसी तरह शांत कराई।