मत्था टेक, अरदास कर मांगी खुशहाली
गाजीपुर : गुरुनानक देव के 546वें प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में बुधवार को भक्तिमय वातावरण में शबद-
गाजीपुर : गुरुनानक देव के 546वें प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में बुधवार को भक्तिमय वातावरण में शबद-कीर्तन का कार्यक्रम हुआ। इस पावन मौके पर सिख समुदाय के लोग बड़ी तादाद में शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहब पहुंच कर मत्था टेका और अरदास कर खुशहाली की दुआएं मांगी। इस मौके पर लंगार का आयोजन हुआ जिसमें हर धर्म-महजब के लोगों ने प्रसाद चख कर वाहे गुरु का आशीर्वाद लिया।
सरदार दर्शन ¨सह ने जनपदवासियों को बधाई देते हुए कहा कि गुरुनानक ने भाईचारे एवं इंसानियत का संदेश दिया। इसके अलावा उन्होंने जाति-पाति के भेदभाव को मिटाते हुए नारी को सम्मान देने की नसीहत की। गुरुनानक ने कहा कि मुस्लिम कहां तो मारिए, ¨हदू भी मैं ना, पंचतत्व का पुतला, नानक मेरा नाम का उपदेश देकर देश में धर्म-मजहब के भेदभाव को मिटाने की कोशिश की। उनके बताए रास्ते पर चलकर ही देश एवं समाज का कल्याण हो सकता है। परिसर में दोपहर को श्रद्धालुओं ने लंगर का प्रसाद चखा। इस मौके पर सुखबीर एग्रो के जीएम, अमरनाथ तिवारी, कैलाश वर्मा, बबलू ¨सह, गुरुप्रीत ¨सह, रवींद्र ¨सह, त्रिलोचन ¨सह, कामता प्रसाद, सीताराम पांडेय आदि थे।
मुहम्मदाबाद : सिख समुदाय ने प्रकाशोत्सव कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर सुबह से नगर स्थित गुरुद्वारा में समुदाय के लोग एकत्रित होकर शबद कीर्तन किए। वाराणसी से आए रागी जत्था के कीर्तन सुनकर मौजूद लोग पूरी तरह से मंत्र मुग्ध हो गए। प्रकाशोत्सव के मौके पर एक सप्ताह से समुदाय की ओर से प्रभात फेरी, गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया गया। वक्ताओं ने गुरुनानक देव के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम में बिल्लू ¨सह, त्रिलोचन ¨सह, सतनाम ¨सह, नरजीत ¨सह, हरजीत ¨सह, जसवीर ¨सह, ¨पटू ¨सह, गुरुचरन ¨सह, देवेंद्र कौर आदि मौजूद रहे। दशमेश सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष सुरजीत ¨सह ने आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया। रात में लंगर का आयोजन किया गया।
दिलदारनगर : गुरुद्वारा गुरु ¨सह सभा की ओर से गुरुनानक देव का प्रकाश पर्व हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। गुरूद्वारे में सुबह सिख बंधु एकत्रित होकर भजन कीर्तन व अरदास कर निशान साहब को दूध से नहलाकर नया पोशाक पहना कर विधि पूर्वक पूजन अर्चन कर फूलो की वर्षा की। उसके बाद जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। पूरे दिन गुरुद्वारे में भजन कीर्तन चलता रहा। रात में सैकड़ों की संख्या में लोग लंगर में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किए। इस मौके पर सरदार निर्मल ¨सह, महताब ¨सह, प्रितपाल ¨सह, हरमीत, जरनैल ¨सह, परलोक ¨सह, बलबीर ¨सह, कमलजीत ¨सह, यसवंत, कमलजीत ¨सह, राजेंदर ¨सह, बंटी ¨सह, मंजीत ¨सह, हरजीत ¨सह, लखबीर ¨सह आदि थे।