कटान की भेंट चढ़ी आठ मंडा कृषि भूमि
मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : जलस्तर कम होने से बाढ़ टलने का खतरा समाप्त होते नजर आ रहा है लेकिन दूसरी ओर
मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : जलस्तर कम होने से बाढ़ टलने का खतरा समाप्त होते नजर आ रहा है लेकिन दूसरी ओर कटान शुरू हो जाने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। शुक्रवार की देर शाम कटान के चलते सेमरा गांव से पूरब परिया इकसठ के पास प्रद्युम्मन यादव के बगीचे में लगी बांस की खूंटी गंगा की धारा में समाहित हो गई। इसके अलावा बबूल आदि के कई पेड़ भी गिर गए। प्रद्युम्मन यादव सहित जयमंगल पटेल, मोतीचंद पटेल व काशीनाथ पटेल का लगभग आठ मंडा कृषि भूमि गंगा की धारा में समाहित हो गई।
कटान का केंद्र गांव के पूरब कृषि भूमि की ओर हो जाने से आने वाले समय में शेरपुर, छानबे आदि गांवों के लिए खतरा बढ़ता नजर आ रहा है। दो दशक से अधिक समय से कटान का दंश झेल रहे सेमरा व पुरवा शिवराय के किसानों का हजारों बीघा कृषि भूमि गंगा की धारा में समाहित हो चुका है। आबादी पर कटान का इतना व्यापक असर पड़ा कि वर्ष 2012 व 13 में सेमरा के करीब 40 फीसद व शिवराय का पुरा के 80 फीसद लोगों का आशियाना गंगा की धारा में समाहित हो गया। गांव को बचाने के लिए शासन की ओर से करीब 23 करोड़ की धनराशि खर्च कर गांव के सामने ठोकर का निर्माण कराया गया है। ठोकर निर्माण में कार्यदायी संस्था की ओर से मनमानी की गई है। हालत यह है कि बाढ़ से पूर्व ही कई जगह ठोकर क्षतिग्रस्त हो गया था। प्रदर्शन करने के बाद किसी तरह से मरम्मत कराया गया। इस वर्ष जलस्तर बढ़ने पर गांव के पूरब रामतुलाई गड्ढा के पास लगभग 50 मीटर ठोकर कटान के भेंट चढ़ गया। जिसे बचाने के लिए विभाग की ओर से बल्ली स्क्रीन का निर्माण कराया गया। अभी तीन दिन पूर्व कटान के चलते बल्ली स्क्रीन का कुछ हिस्सा धारा में समाहित हो गया।