दो माह बाद ही फीका पड़ा हिना का रंग
गाजीपुर : वह एक बंजारन है, अभी दो महीने पहले ही उसका विवाह हुआ था। पति के साथ वह निकली थी कमाने-ख
गाजीपुर : वह एक बंजारन है, अभी दो महीने पहले ही उसका विवाह हुआ था। पति के साथ वह निकली थी कमाने-खाने और अपनी नई गृहस्थी बसाने। इसी दौरान भाई के मौत की सूचना मिली, जिसका गम वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। ट्रेन के आगे कूद गई जान देने के लिए। लेकिन होनी तो कुछ और लिखी लिहाजा गंभीर रूप से घायल हो गई। अपना दाहिना पैर गवां चुकी हिना का एक हाथ भी बुरी तरह जख्मी है। अब वह जिला अस्पताल में तीन दिन से मौत से संघर्ष कर रही है। इससे भी बड़ा दर्द यह है कि इस घड़ी में भी उसके साथ अपना कोई नहीं था। अस्पताल कर्मी ही उसके सहारा बने हैं। विवाह के दो महीने बाद ही हिना के रंग अब फीके पड़ गए हैं। यह दर्द शायद उसे ¨जदगी भर झेलना होगा।
जिला अस्पताल के महिला वार्ड में भर्ती हिना बंजारन है। वह मूल रूप से राजस्थान के रामगंज मंडी वार्ड नंबर दो कि रहने वाली है। अभी दो महीने पहले ही उसका विवाह लेखराज से हुआ था। बंजारा परंपरा के अनुसार नव विवाहित जोड़ा अपनी नई गृहस्थी बसाने निकल पड़ा। इस दौरान वह दुल्लहपुर आ गए और फूल बेच कर अपना पेट पालने लगे। जबकि हिना के माता-पिता इस समय इलाहाबाद में अपना डेरा जमाए हुए हैं। किसी के द्वारा हिना को सूचना मिली कि उसके पांच वर्षीय भाई की बीमारी के चलते मौत हो गई है। इसका सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर सकी और अपनी जान देने के लिए ट्रेन के आगे कूद गई। संयोग से उसकी जान तो बच गई लेकिन दाहिना पैर पूरी तरह कट गया और दाहिना हाथ बुरी तरह जख्मी। हिना को इस हाल में देख पति लेखराज की हालत पागलों जैसी हो गई और उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करे। आसपास के लोगों ने उसे एंबुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल पहुंचाया। इधर लेखराज वहां से भाग कर अपने घर राजस्थान पहुंचा और घर वालों को घटना की जानकारी दी। जिला अस्पताल में हिना के साथ कोई नहीं था, वह अकेले ही मौत से जूझती रही। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी हालत गंभीर होने पर उसे वाराणसी रेफर किया गया लेकिन किसी के साथ न होने पर महिला वार्ड में भर्ती कर दिया गया। हिना लगातार दर्द से तड़पती रही लेकिन उसका दर्द बांटने वाला अपना कोई नहीं, सिवाय अस्पताल कर्मियों के। इसके कारण उसके इलाज में भी लापरवाही हुई और अब उसके जख्म सूखने के बजाय सड़ने लगे है। गुरुवार की सुबह उस समय दर्दनाक दृश्य सामने आया जब वह उठने के प्रयास में बेड से गिर गई। उसकी चीख सुनकर आसपास के लोग आए और उठाकर बेड पर सुलाया।
दोपहर में पहुंचे परिजन
- लेखराज की सूचना पर हिना को तलाशते हुए उसके परिजन राजस्थान से गुरुवार की दोपहर जिला अस्पताल पहुंचे। तीन दिन अकेले अस्पताल में गुजारने के बाद हिना ने जब अपनों को देखा तो बिलख पड़ी। हिना ने कहा कि उसने ट्रेन के आगे कूद कर बहुत बड़ी गलती कर दी लेकिन अब वह जीना चाहती है। अगर बेहतर इलाज मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है। मुश्किल यह है कि उसका बंजारा परिवार इतना सक्षम नहीं है कि उसका इलाज किसी बड़े अस्पताल में करा सके। वह लोगों को कातर निगाह से देख रही है कि शायद को उसकी सहायता कर दे।