मुक्केबाजी शौक के साथ जुनून भी
गाजीपुर : भदौरा क्षेत्र के बारा गांव के अमजद खां ने मुक्केबाजी के क्षेत्र में किसी परिचय का मोहताज न
गाजीपुर : भदौरा क्षेत्र के बारा गांव के अमजद खां ने मुक्केबाजी के क्षेत्र में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। देश-विदेश में नाम करने के साथ उनकी ख्वाहिश है कि जनपद के किशोर मुक्केबाजी में अपने दमखम का इस्तेमाल करें ताकि इस क्षेत्र में ऊंचा मुकाम पाने के साथ ही ओलंपिक, एशियाड, कामनवेल्थ गेम आदि में स्वर्ण पदक देश के नाम कर सकें। उनकी पूरी कोशिश है कि जनपद में हर खेल की तरह मुक्केबाजी में भी नामी खिलाड़ी पैदा हो। इस संबंध में उन्होंने गुरुवार को स्टीमरघाट स्थित राजीव उपाध्याय के आवास पर पत्रकारों से बातचीत की।
अमजद को मुक्केबाजी का शौक बचपन से था जो समय बीतने के साथ जुनून में बदलता गया। गांव से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता गए और मुक्केबाजी में भविष्य बनाने का निर्णय लिया। इनकी मेहनत का नतीजा था कि कामयाबी इनके कदम चूमने लगी। कई बार स्टेट एवं नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर चैम्पियन बने। वर्ष 2008 में भारतीय बा¨क्सग टीम में इनका चयन हुआ। ओलंपियन, अर्जुन, द्रोणाचार्य, इंडियन बा¨क्सग कोच के सानिध्य में मुक्केबाजी के हुनर सीखने का मौका मिला। इसी वर्ष इनको राजीव गांधी खेल ग्लोबल एक्सीलेंसी एवार्ड फाउंडेशन से नवाजा गया। इस दौरान जनपद के युवाओं का मुक्केबाजी में दिलचस्पी नहीं लेना इन्हें काफी सालता था। इन्होंने ठान लिया कि अपने जनपद में बच्चों को इस खेल में लाकर उनका भविष्य बनाऊंगा। दिल्ली में बा¨क्सग प्रशिक्षण केंद्र खोला। इस समय इनके केंद्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। अमजद में बताया कि वह अगस्त महीने में प्रोफेशनल बा¨क्सग के लिए टीम लेकर जा रहे हैं। अगला टूर इंग्लैंड का होगा। ख्वाहिश है कि जनपद के किशोर मुक्केबाजी सीखने के लिए दिल्ली आएं। वह उनकी हर संभव मदद करेंगे। इस क्षेत्र में काफी स्कोप है। उनके पिता यहिया खां बेटे की इस कामयाबी पर फूले नहीं समा रहे हैं। इस मौके पर ज्ञानेंद्र उपाध्याय, सैय्यद कासिम अली, प्रेमचंद विश्वकर्मा, रासबिहारी चौबे आदि थे।