बर्बादी से हताश किसानों का निकल रहा दम
गाजीपुर : बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुई तबाही के चलते किसानों के दम तोड़ने का सिलसिला थम नहीं र
गाजीपुर : बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुई तबाही के चलते किसानों के दम तोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है। गुरुवार को जिले के तीन किसान अपनी बर्बादी का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके। दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। एक साथ कई विपदा टूट पड़ने से किसानों का परिवार भी सकते में है। पैदावार नहीं होने से पेट भरने का तनाव अलग। उधर धूप निकलने से किसानों ने भींगे बोझ को खोल कर सूखने के लिए छोड़ दिया है। गेहूं की काली बलियां देख उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा रहा है। सुबह भगवान भाष्कर के दर्शन हुए तो किसानों ने खलिहान में रखे भीगे गेहूं के बोझ को खोल कर सुखने के लिए फैला दिया लेकिन बोझ की हालत देख उसका दिल बैठा जा रहा है। परिवार के सदस्य सदमें में हैं। उनको चिंता लगी हुई है कि बेटी का शादी, बेटे की पढ़ाई का खर्चा आदि कैसे पूरा होगा। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी क्षति का आंकलन कर उनका मुआवजा दिलाने का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन मुआवजे से उनकी समस्या का निदान नहीं होने वाला। खराब फसलों को देखकर कई किसानों की तबीयत खराब हो गई है। घर के लोग इस तबाही के बाद बीमार परिजनों का इलाज कराने में लगे हुए हैं।
भींग गए फसलों के बोझ
मुहम्मदाबाद : मौसम साफ देख किसान खलिहान की ओर रूख किया। बारिश से भीग कर खराब हो रहे फसलों के बोझ को खोल कर सूखाने में लग गए। कई चक्र की हुई बेमौसम की बारिश से मसूर, मटर, चना व गेहूं की फसल पहले से ही काफी कमजोर थी। फसल कमजोर होने से उत्पादन कम होने को लेकर किसान पहले से ही परेशान थे। अब फसलों की कटाई का कार्य चल रहा था, इसी बीच दो दिन पूर्व हुई लगातार बारिश से खेतों में काटकर छोड़ी गई व खलिहानों में रखी गई फसलों का बोझ भीग गया। इससे मड़ाई का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया। अधिकतर जगहों पर खेतों व खलिहानों में पानी लग जाने से बोझ में दबे अनाज के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
लौवाडीह : बारिश ने किसानों को बर्बाद करके रख दिया है। बारिश से मड़ाई का कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। अगर मौसम पूरी तरह से साफ होना शुरू हुआ तो कम से कम एक सप्ताह के बाद ही मड़ाई कार्य शुरू हो पायेगा। बारिश में फसलों के भीग जाने से अनाज पूरी तरह से काले हो गए है। पानी में भीग कर फूलने से अनाज के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
धर्मागतपुर : क्षेत्र के बद्धूपुर, मलेठी, कोठियां, मेशरुआ, भैरोपुर, बभनौली आदि गांवों में प्रशासन की ओर से फसलों की क्षति का आंकलन करने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। किसान अतुल, शशि मौर्य, रामवृक्ष राजभर, कुद्दू राजभर आदि ने बताया कि फसलें बर्बाद हो गई हैं लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई सहायता नहीं मिली है।
बर्बादी की आंधी में निकले प्राण
जंगीपुर : चक मोयामिद (मोहानी चक) के किसान राजेंद्र यादव फसल की बर्बादी की सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके। बुधवार की शाम आए बवंडर में उनका गेहूं का बोझ खुलकर बिखर गया। अपनी आंखों के सामने ही बर्बादी देखकर उनको हृदयाघात हुआ। घरवाले उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहे थे कि रास्ते में ही उनका दम निकल गया। उनकी मां सुखिया देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। उनके पीछे परिवार में पत्नी, दो लड़के एवं एक लड़की है। जीविका के लिए उनके पास केवल ढाई बीघा कृषि योग्य भूमि है।
फसलों की तबाही देख हुई मौत
करकापुर गांव निवासी देवराज यादव (80) सुबह खेत में गए जहां फसलों की तबाही देख कर वह अचानक गिर पड़े। मौके पर ही उनका दम निकल गया। वह चार बीघा की खेत के मालिक हैं। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो लड़के एवं दो लड़कियां हैं।
बाली में दाना नहीं देखा तो निकला दम
-बटाई पर लिया था दो बीघा खेत
मुहम्मदाबाद : बरेसर क्षेत्र के खारा गांव के किसान बुद्धिराम पाल (60) सुबह फसलों की कटाई के लिए खेत में गए। बालियों के दाने देखकर दिल का दौरा पड़ा। आसपास कटाई कर रहे किसानों ने आनन-फानन में उठा कर उन्हें प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पर ले गए जहां चिकित्सकों ने उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिला अस्पताल जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। उनके भाई विसर्जन पाल ने बताया कि उनके हिस्से में नौ मंडा भूमि है। उन्होंने दो बीघा खेत बटाई पर लिया था। फसल की बर्बादी देखकर उन्हें भूमि मालिक को फसल का हिस्सा देने की फिक्र समाने लगी। इसी वजह से उनको हार्ड अटैक का दौरा पड़ा है।