फसल की बर्बादी देख किसान तोड़ रहे दम
गाजीपुर : बर्बाद फसलों को देखकर मुहम्मदाबाद के किसान सहन नहीं कर सके। हाथों में फसलों को लेकर देख
गाजीपुर : बर्बाद फसलों को देखकर मुहम्मदाबाद के किसान सहन नहीं कर सके। हाथों में फसलों को लेकर देखते हुए मंगलवार की शाम खलिहान में ही उनका दम निकल गया। प्रकृति के आगे बेबस किसान अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रहा है। खेत-खलिहानों में पड़ी उसकी फसल पूरी तरह से तबाह हो चुकी है। बुधवार को धूप नहीं होने के कारण फसलों के सूखने की रही-सही आशा भी खत्म हो गई।
बुधवार सुबह कुछ देर के लिए भगवान भाष्कर के दर्शन हुए तो लगा कि धूप होगी। शायद किसानों की फसलों के कुछ दाने उनके आवास तक पहुंच जाए लेकिन कुछ ही देर बाद उनकी उम्मीदें टूट गई। पूरे दिन आसमान पर बादल छाए रहे। दिन में रह-रह कर हुई बूंदाबांदी जगह-जगह हुए जलजमाव में इजाफा कर गई। उधर नगरीय क्षेत्र में मौसम ठंडा रहा। लोगों को गर्मी से निजात मिली।
दिलदारनगर : अचानक बदले मौसम की बेरूखी के कारण किसानों के मेहनत पर पानी फिर गया। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे नहीं कराए जाने से किसानों में आक्रोश है। किसान बृजराज कुशवाहा, बनारसी राजभर, विरजू, संतोष, विजयी आदि ने बताया कि बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो गई हैं लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक कुछ नही किया गया।
जमानियां : चैत के महीने में सावन की तरह पुरवा बयार बह रही है। कहीं बूंदाबांदी तो कहीं बारिश हो रही है। अभी खेतों में फसल है। कुछ किसान फसल की कटाई कर खलिहान में रख दिए हैं। फसल भींगकर बर्बाद हो रही है। किसान अपनी बर्बादी का तमाशा देखने की बजाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
हाथ में फसल लेते ही निकला दम
करीमुद्दीनपुर : क्षेत्र के मसौनी गांव के किसान हरिद्वार राय (72) की मौत मंगलवार की शाम को खलिहान में हो गई। परिजनों के अनुसार जब वे खलिहान में जाकर फसलों की स्थिति देखी तो अवाक रहे गए। हाथ में अनाज का डंठल लिए और वहीं गिर गए। जब तक परिवार के लोग उन्हें इलाज के लिए ले जाते उनकी मौत हो गई।
दो लाख हेक्टेयर में हुई रबी की खेती
जिले में पांच लाख किसान हैं। इस बार दो लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की खेती हुई है। इसमें पौने दो लाख हैक्टेयर गेहूं और 25 हजार हेक्टेयर में दलहन एवं तिलहन की खेती हुई है। किसानों को लगा कि इस बार फसल काफी अच्छी होगी लेकिन अचानक मौसम के बदलाव ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
किसान बोले..
कभी सोचा नहीं था
इतनी बारिश तो कभी सोचा भी नहीं था। गेहूं, चना, मसूर आदि सभी फसलें भीग कर सड़ रही हैं। गेहूं की बालियां काली पड़ गई हैं।
- संतोष उपाध्याय।
प्रशासन देख रहा बर्बादी का नजारा
किसानों की मदद करने के बजाय प्रशासन बर्बादी का नजारा देख रहा है। अभी तक सर्वे नहीं कराया गया। पूर्व में जो सर्वे किया गया था उसकी रिपोर्ट सही नहीं भेजी गई।
- अनिल राय।
फसल सड़ रही
फसलें खलिहान में पड़ी सड़ रही हैं। सूरज नहीं निकलने से फसलों के सूखने की उम्मीदें भी समाप्त हो गई है।
- अशोक यादव।
अब क्या होगा
फसलें बर्बाद होने के बाद किसानों के समक्ष रोटी के लाले पड़ गए हैं। अब क्या करेंगे उनका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।
- दिनेश राय।
कुछ समझ नहीं आ रहा
किसानों को समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें। उनकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी। कई जिम्मेदारियों को पूरा करने का मंसूबा बनाया था जो सब चकनाचूर हो गया।
- ऋषिमुनि पांडेय।