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जेल में चलता वसूली का खेल

गाजीपुर : अपराधी का समाज में कितना भी भय हो, लोग उसे दहशत खाते हों, पर सलाखों के पीछे जाते ही स्थिति

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 09:21 PM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 09:21 PM (IST)

गाजीपुर : अपराधी का समाज में कितना भी भय हो, लोग उसे दहशत खाते हों, पर सलाखों के पीछे जाते ही स्थिति दूसरी हो जाती है। वहां तूती उसी गैंग या अपराधी की बोलती है, जो जितना अधिक सुविधा शुल्क उपलब्ध कराता है। जेल में जाते ही बैरक आवंटित करने से लगायत मनचाहा भोजन तक के लिए अवैध रूप से तय कीमत अदा करनी पड़ती है। यही नहीं जेब भारी करने पर प्रतिबंध के बावजूद शराब, गांजा, मोबाइल की सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाती है। इसके माध्यम कोई और नहीं बल्कि बंदी रक्षक ही होते हैं।

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क्षमता 397, बंदी हैं छह सौ से अधिक

जिला कारागार की क्षमता के अनुसार 397 बंदी ही यहां रखे जा सकते हैं लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या छह सौ से अधिक है। इससे ही स्पष्ट है कि सुविधा पाने के लिए बंदियों में कितनी मारा-मारी रहती होगी। सूत्रों का कहना है कि सुविधा शुल्क न अदा करने पर बंदियों को भंडारा में लगा दिया जाता है, जहां उन्हें काफी जलालत झेलनी पड़ती है।

मोबाइल का करते हैं प्रयोग

पिछले माह जेल में बंद जंगीपुर के अपराधी ने आभूषण व्यवसायी से रंगदारी मांगी थी। यह घटना तब प्रकाश में आई जब वसूली करने गई उसकी मां को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से साफ हो गया कि जेल से ही व्यवसायी को धमकी दी गई। यह तो एक बानगी है। ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब सलाखों के पीछे से अपराधी अपने प्रभाव वाले क्षेत्र के चिकित्सक, व्यापारी व अन्य से गुंडाटैक्स न मांगते हों।

ज्यादातर मामले इसलिए भी सामने नहीं आ पाते, क्योंकि जान जाने की भय से लोग उन्हें मांगी गई रकम देकर ही पिंड छुड़ाना उचित समझते हैं।

लगातार करते हैं निगरानी

जिला कारागार में वर्तमान समय में 27 बंदी रक्षक हैं। इनके बूते ही छह सौ से अधिक बंदियों पर लगातार निगरानी रखी जाती है। मोबाइल सहित प्रतिबंधित सामान जेल में न पहुंचे, इसके लिए बंदियों की पेशी से लौटने पर गहन तलाशी ली जाती है। बंदी रक्षकों पर भी नजर रखी जाती है। सुविधा शुल्क वसूली का आरोप निराधार है। -बी त्रिवेदी, जेलर, जिला कारागार।


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